वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
Shardiya Navratri 2024 Maa Siddhidatri Puja Vidhi जय माता दी …. आद्यशक्ति नवदुर्गाजी की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं,यह सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं, नवरात्रि-पूजन के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है इस दिन शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है,सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है,ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है.!
मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व- ये आठ सिद्धियां होती हैं,ब्रह्मवैवर्तपुराण के श्रीकृष्ण जन्म खंड में यह संख्या अठारह बताई गई है.!
1. अणिमा 2. लघिमा 3. प्राप्ति 4. प्राकाम्य 5. महिमा 6. ईशित्व,वाशित्व 7. सर्वकामावसायिता 8. सर्वज्ञत्व 9. दूरश्रवण 10. परकायप्रवेशन 11. वाक्सिद्धि 12. कल्पवृक्षत्व 13. सृष्टि 14. संहारकरणसामर्थ्य 15. अमरत्व 16. सर्वन्यायकत्व 17. भावना 18. सिद्धि
मां सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियां प्रदान करने में समर्थ हैं,देवीपुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था,इनकी अनुकम्पा से ही भगवान शिव का आधा शरीर देवी का हुआ था,इसी कारण वे लोक में ‘अर्द्धनारीश्वर’ नाम से प्रसिद्ध हुए.!
मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं,इनका वाहन सिंह है,यह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं,इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है,प्रत्येक मनुष्य का यह कर्तव्य है कि वह मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करने का निरंतर प्रयत्न करें,उनकी आराधना की ओर अग्रसर हो,इनकी कृपा से अनंत दुख रूप संसार से निर्लिप्त रहकर सारे सुखों का भोग करता हुआ वह मोक्ष को प्राप्त कर सकता है.!
नवदुर्गाओं में मां सिद्धिदात्री अंतिम है,अन्य आठ दुर्गाओं की पूजा उपासना शास्त्रीय विधि-विधान के अनुसार करते हुए भक्त दुर्गा पूजा के नौवें दिन इनकी उपासना में प्रवत्त होते हैं,इन सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक,पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है.!
मां के चरणों का यह सान्निध्य प्राप्त करने के लिए हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उनकी उपासना करनी चाहिए,मां भगवती का स्मरण,ध्यान,पूजन,हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है.!
-:’Shardiya Navratri 2024 Maa Siddhidatri Puja Vidhi: सिद्धिदात्री पूजन मंत्र’:-
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना यदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायनी॥
अमल कमल संस्था तद्रज:पुंजवर्णा,कर कमल धृतेषट् भीत युग्मामबुजा च।
मणिमुकुट विचित्र अलंकृत कल्प जाले;भवतु भुवन माता संत्ततम सिद्धिदात्री नमो नम:।
-:’Shardiya Navratri 2024 Maa Siddhidatri Puja Vidhi: माँ सिद्धिदात्री ध्यान’:-
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम्।
कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
-:’Shardiya Navratri 2024 Maa Siddhidatri Puja Vidhi: माँ सिद्धिदात्री स्तोत्र’:-
कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।
स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।
नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥
परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।
भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।
मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥
-:’Shardiya Navratri 2024 Maa Siddhidatri Puja Vidhi: सिद्धिदात्री कवच”-‘:–
ओंकारपातु शीर्षो माँ ऐं बीजं माँ हृदयो।
हीं बीजं सदापातु नभो, गुहो च पादयो॥
ललाट कर्णो श्रीं बीजपातु क्लीं बीजं माँ नेत्र घ्राणो।
कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै माँ सर्व वदनो।।
-:’Shardiya Navratri 2024 Maa Siddhidatri Puja Vidhi: माँ सिद्धिदात्री बीज मंत्र’:-
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
–:’Shardiya Navratri 2024 Maa Siddhidatri Puja Vidhi: माँ सिद्धिदात्री पूजन महत्व’:-
माँ दुर्गा की नवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है,मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं,इनका वाहन सिंह है,ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं,इनकी दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में गदा और नीचे वाले हाथ में चक्र विद्यमान है,बांई ओर के ऊपर वाले हाथ में कमलपुष्प और नीचे वाले हाथ में शंख विद्यमान है,अंतिम दिन भक्तों को पूजा के समय अपना सारा ध्यान निर्वाण चक्र जो कि हमारे कपाल के मध्य स्थित होता है,वहां लगाना चाहिए,ऐसा करने पर देवी की कृपा से इस चक्र से संबंधित शक्तियां स्वत: ही भक्त को प्राप्त हो जाती हैं,सिद्धिदात्री के आशीर्वाद के बाद श्रद्धालु के लिए कोई कार्य असंभव नहीं रह जाता और उसे हर तरह सुख-समृद्धि प्राप्त हो जाती है..!
विशेष :- नवरात्रे का नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा/आराधना करते समय पीत,श्वेत अथवा रक्त वस्त्र धारण करें पूजन में गुलाब/गेंदे/मोगरे आदि पुष्पों का प्रयोग करें,माँ सिद्धिदात्री को नारियल अतिप्रिय हैं अतः माँ को चना पूड़ी हलवा तथा नारियल आदि का भोग अर्पण करें.!