Vaidic Jyotish
September 17, 2024 1:15 AM

Shri Ganesh Bahula Chaturthi 2024: श्री गणेश बहुला चतुर्थी

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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Shri Ganesh Bahula Chaturthi 2024: । ॐ नमः सिद्धिविनायकाय सर्वकार्यकर्त्रे सर्वविघ्न प्रशमनाय सर्व राज्य वश्य कारनाय सर्वजन सर्व स्त्री पुरुषाकर्षणाय श्री ॐ स्वाहा।।
ॐ गं गणपतये नमो नमः ….प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान श्रीगणेश चतुर्थी व्रत किए जाने का विधान रहा है.भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है.इस वर्ष बहुला चतुर्थी का त्यौहार 22 अगस्त 2024 को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इसी तिथि का संबंध भगवान गणेश जी के जन्म से है तथा यह तिथि भगवान गणेश जी को अत्यंत प्रिय है. ज्योतिष में भी श्रीगणेश को चतुर्थी का स्वामी कहा गया है.!

-:’Shri Ganesh Bahula Chaturthi 2024: गणेश अवतरण कथा’:-
शिवपुराण अनुसार भगवान गणेश जी के जन्म लेने की कथा का वर्णन प्राप्त होता है जिसके अनुसार देवी पार्वती जब स्नान करने से पूर्व अपनी मैल से एक बालक का निर्माण करती हैं और उसे अपना द्वारपाल बनाती हैं वह उनसे कहती हैं ‘हे पुत्र तुम द्वार पर पहरा दो मैं भीतर जाकर स्नान कर रही हूँ अत: जब तक मैं स्नान न कर लूं, तब तक तुम किसी भी पुरुष को भीतर नहीं आने देना.!

जब भगवान शिवजी आए तो गणेशजी ने उन्हें द्वार पर रोक लिया और उन्हें भितर न जाने दिया इससे शिवजी बहुत क्रोधित हुए और बालक गणेश का सिर धड़ से अलग कर देते हैं, इससे भगवती दुखी व क्रुद्ध हो उठीं अत: उनके दुख को दूर करने के लिए शिवजी के निर्देश अनुसार उनके गण उत्तर दिशा में सबसे पहले मिले जीव (हाथी) का सिर काटकर ले आते हैं और शिव भगवान ने गज के उस मस्तक को बालक के धड़ पर रखकर उसे पुनर्जीवित कर देते हैं.!
पार्वती जी हर्षातिरेक हो कर पुत्र गणेश को हृदय से लगा लेती हैं तथा उन्हें सभी देवताओं में अग्रणी होने का आशीर्वाद देती हैं ब्रह्मा, विष्णु, महेश ने उस बालक को सर्वाध्यक्ष घोषित करके अग्रपूज्य होने का वरदान देते हैं. चतुर्थी को व्रत करने वाले के सभी विघ्न दूर हो जाते हैं सिद्धियां प्राप्त होती हैं.!

-:’Shri Ganesh Bahula Chaturthi 2024: गणेश चतुर्थी पूजन विधि’:-
किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पूर्व सर्वप्रथम भगवान श्री गणेश जी की स्मरण किया जाता है जिस कारण इन्हें विघ्नेश्वर, विघ्न हर्ता कहा जाता है. भगवान गणेश समस्त देवी देवताओं में सबसे पहले पूजे जाने वाले देवता हैं. इनकी उपासना करने से सभी विघ्नों का नाश होता है तथा सुख-समृद्ध व ज्ञान की प्राप्ति होती है.!

गणेश पूजा के दौरान गणेशजी की प्रतिमा पर चंदन मिश्रण, केसरिया मिश्रण, इत्र, हल्दी, कुमकुम, अबीर, गुलाल, फूलों की माला खासकर गेंदे के फूलों की माला और बेल पत्र को चढ़ाया जाता है, धूपबत्ती जलाये जाते है और नारियल, फल और तांबूल भी अर्पित किया जाता है. पूजा के अंत में भक्त भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और विष्णु भगवान की आरती की जाती है और प्रसाद को भगवान सभी लोगों में बांट कर स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए.!

गणेश भक्त बडी श्रद्धा के साथ चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं. चतुर्थी की रात्रि में चन्द्रमा को अ‌र्घ्यदेकर, गणेश-पूजन करने के बाद फलाहार ग्रहण किया जाता है. इसके व्रत से सभी संकट-विघ्न दूर होते हैं. चतुर्थी का संयोग गणेश जी की उपासना में अत्यन्त शुभ एवं सिद्धिदायक होता है. चतुर्थी का माहात्म्य यह है कि इस दिन विधिवत् व्रत करने से श्रीगणेश तत्काल प्रसन्न हो जाते हैं. चतुर्थी का व्रत विधिवत करने से व्रत का सम्पूर्ण पुण्य प्राप्त हो जाता है.!

इस दिन विधि अनुसार व्रत करने से वर्ष पर्यन्त चतुर्थी व्रत करने का फल प्राप्त होता है. चतुर्थी के शुभ फलों द्वारा व्यक्ति के किसी भी कार्य में कोई विघ्न नहीं आता उसे संसार के समस्त सुख प्राप्त होते हैं भगवान गणेश उस पर सदैव कृपा करते है.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
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