ॐ नमः शिवाय…. अप्रैल माह की 21 तारीख को प्रदोष व्रत पड़ रहा है,यह व्रत रविवार के दिन पड़ रहा है,प्रदोष व्रत हर महीने में दो बार पड़ता है,एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में,सनातन हिन्दू पंचांग के अनुसार इस समय वैशाख माह का शुक्ल पक्ष चल रहा है और किसी भी पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है,धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह व्रत महत्वपूर्ण होता है,इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ माता पार्वती की पूजा का विधान है.!
-:”प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व”:-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव प्रदोषकाल में कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृत्य करते हैं,इसलिए इस दिन भगवान शिव की विशेष आराधना की जाती है,उनकी पूजा से भक्तों को भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है,भक्तों की सभी मनोकामनाओं भी पूर्ण होती हैं…!
-:”प्रदोष व्रत विधि”:-
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें,इसके बाद भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लें,फिर स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा करें,भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें,उन्हें पुष्प अक्षत्, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप आदि अर्पित करें.!
ॐ नम: शिवाय का जप करें,शिव चालीसा का पाठ करें और अंत में शिव आरती करें,भगवान शिव को अपनी इच्छानुसार भोग लगाएं,पूजा संपूर्ण होने के बाद प्रसाद सभी में बांट दें.!
-:”प्रदोष व्रत पूजा समय एवं लाभ”:-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रदोष व्रत में शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है,प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव खुश होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं,एवं भगवान शिव की कृपा से तमाम तरह के कष्टों और दुखों से छुटकारा मिल जाता है.!
नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook पर प्राप्त कर सकते हैं.II