फाल्गुन सोमवती अमावस्या विशेषाङ्क

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Somvati Amavasya 2023
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print

Somvati Amavasya 2023 | Somvati Amavasya
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती।
नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।

नमो नारायण….. फाल्गुन अमावस्या का पर्व फाल्गुन माह की 30वीं तिथि के दिन मनाया जाता है.फाल्गुन अमावस्या में गंगा एवं पवित्र नदियों में स्नान इत्यादि का महत्व रहा है. इस अमावस्या के दौरान श्राद्धालु श्रद्धा के साथ दान और पूजा पाठ से संबंधित कार्य भी करते हैं.!

फाल्गुन अमावस्या के दौरान पितरों के लिए भी मुख्य रुप से तर्पण का कार्य किया जाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार माह अंतिम माह होता इस अंतिम अमावस्य के दौरान विशेष रुप से जप एवं तप करने की महत्ता को बताया गया है.!

इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या 20 फरवरी 2023 को सोमवार के दिन मनाई जाएगी.यह अमावस्या तर्पण कार्यो के लिये सर्वश्रेष्ठ मानी जाती है. इस दिन चाहें तो व्रत भी किया जा सकता है जिसका शुभ फल आपके कर्मों को शुभता प्रदान करने वाला होता है.!

“फाल्गुन सोमवती अमावस्या मुहूर्त”
रविवार 19 फरवरी 2023 को अपराह्न 16 बजकर 19 मिनट से अमावस्या तिथि प्रारम्भ होगी तथा सोमवार 20 फरवरी को मध्याहन 12 बजकर 36 मिनट पर समाप्त होगी.उदयातिथि के आधार पर फाल्गुन अमावस्या 20 फरवरी को मानना शास्त्र सम्मत होगा,इस वर्ष फाल्गुन अमावस्या सोमवार के दिन होने से यह सोमवती अमावस्या कहलाएगी,इस अवधि में अन्न, धन या वस्त्रादि का दान करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.!

-:’सोमवती अमावस्या तर्पण महत्व’:-
धर्म शास्त्रों के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र स्नान एवं दान के साथ-साथ तर्पण आदि का भी विशेष महत्व है,इस दिन स्नान के बाद पितरों के आत्मा की शांति के लिए तर्पण आदि करना विशेष लाभ प्रद रहता हैं,मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पितर प्रसन्न होते हैं,साथ ही इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से सभी मनोकामना पूर्ण हो जाती है और जीवन में सभी दुखों का नाश हो जाता है.इसके साथ साधकों को कई प्रकार के दोष से मुक्ति प्राप्त हो जाती है.!

फाल्गुन अमावस्या को शिव उपासना करनी चाहिए.भगवान शिव की उपासना अकाल मृत्य, भय, पीड़ा और रोग निवारण में प्रभावी मानी गई है. इस दिन पूजा करने से कठिनाईयों एवं उलझनों से छुटकारा प्राप्त होता है.शास्त्रों में इसे अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत कहा गया है इस दिन पिपल के वृक्ष की पूजा करने व पीपल के पेड तले तेल का दीपक प्रज्जवलित करना चाहिए, इसी के साथ शनि देव की पूजा करनी चाहिए.इस दिन मंत्र जाप करना विशेष रुप से कल्याणकारी होता है.!

इस के अतिरिक्त पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करने और श्री विष्णु का पूजन करने का नियम है. पीपल जिसमें त्रिदेवों का वास माना जाता है. इस दिन पीपल के वक्ष की जड़ को दूध अर्पित करना चाहिए एवं इसका पूजन करना अत्यंत शुभ एवं फलदायी कहा जाता है.!

फाल्गुन अमावस्या के दिन स्नान, दान करने का विशेष महत्व कहा गया है. फाल्गुन अमावस्या के दिन मौन रहने का सर्वश्रेष्ठ फल कहा गया है. देव ऋषि व्यास के अनुसार इस तिथि में मौन रहकर स्नान-ध्यान करने से सहस्त्र गौ दान के समान पुण्य का फल प्राप्त होता है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व समझा जाता है. इस दिन कुरुक्षेत्र के ब्रह्मा सरोवर में डूबकी लगाने का भी फल कहा गया है. इस स्थान पर सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दन करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है.!

देश भर में इस दिन सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक की अवधि में पवित्र नदियों पर स्नान करने वालों का तांता सा लगा रहेगा. स्नान के साथ भक्तजन भाल पर तिलक लगवाते है. यह कार्य करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. सोमवती अमावस्या का व्रत करने वाली स्त्रियों को व्रत की कथा अवश्य सुननी चाहिए.!
कहा जाता है कि महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व समझाते हुए कहा था कि, इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने वाला मनुष्य सभी दुखों से मुक्त होकर सुख को पाता है. ऐसा भी माना जाता है कि स्नान करने से पितरों कि आत्माओं को शांति प्राप्त होती है और पितरों का आर्शीवाद भी मिलता है.

-:’सोमवती अमावस्या विशेष उपाय’:-
-:सोमवती अमावस्या को घर के कोने कोने को अच्छी तरह से साफ करें,सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेच दें,इस दिन सुबह शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दिया अवश्य ही जलाएं इससे घर से कलह और दरिद्रता दूर रहती है..!

-:सोमवती अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए,अमावस्या पर देवी-देवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें.!

-:धन लाभ के लिए सोमवती अमावस्या के दिन पीली त्रिकोण आकृति की पताका विष्णु मन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लगातार लहराती रहे,तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा,लगातार स्थाई लाभ हेतु यह ध्यान रहे की झंडा वहाँ लगा रहना चाहिए,उसे आप समय समय पर स्वयं बदल भी सकते है.!

-:सोमवती अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्यों में बाधाओं का निवारण होता है,इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं,आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा.!

-:सोमवती अमावस्या को गाय को पांच फल खिलाने चाहिए, इससे भी घर में शुभता एवं हर्ष का वातावरण बना रहता है.!

-:सोमवती अमावस्या के दिन किसी सरोवर पर गेहूं के आटे की गोलियां ले जाकर मछलियों को डालें, इस उपाय से पितरों के साथ ही देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है, धन सम्बन्धी सभी समस्याओं का निराकरण होता है.!

-:सोमवती अमावस्या के दिन एक कागजी नींबू लेंकर शाम के समय उसके चार टुकड़े करके किसी भी चौराहे पर चुपचाप चारों दिशाओं में फेंक दें.इस उपाय से जल्दी ही बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाती है.!

-:सोमवती अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिबिया काले कपडे में बांध कर सिंदूर में रखे, इससे शीघ्र ही आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है.!

-: सोमवतीअमावस्या के दिन क्रोध, हिंसा, अनैतिक कार्य, माँस, मदिरा का सेवन एवं स्त्री से शारीरिक सम्बन्ध, मैथुन कार्य आदि का निषेध बताया गया है, जीवन में स्थाई सफलता हेतु इस दिन इन सभी कार्यों से दूर रहना चाहिए.!

-:सोमवतीअमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए विशेष पूजन करना चाहिए.यदि आपके पितृ देवता प्रसन्न होंगे तभी आपको अन्य देवी-देवताओं की कृपा भी प्राप्त हो सकती है,पितरों की कृपा के बिना कठिन परिश्रम के बाद भी जीवन में अस्थिरता रहती है, मेहनत के उचित फल प्राप्त नहीं होती है…!

-:सोमवती अमावस के दिन एक ब्राह्मण को भोजन अवश्य ही कराएं,इससे आपके पितर सदैव प्रसन्न रहेंगे, आपके कार्यों में अड़चने नहीं आएँगी, घर में धन की कोई भी कमी नहीं रहेंगी और आपका घर – परिवार को टोने-टोटको के अशुभ प्रभाव से भी बचा रहेगा…!

-:पितृ दोष निवारण के लिये यदि कोई व्यक्ति सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल में दूध , गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल मिलाकर सींचते हुए पुष्प, जनेऊ अर्पित करते हुये “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाएं नमः” मंत्र का जाप करते हुये 7 बार परिक्रमा करे तत्पश्चात् ॐ पितृभ्यः नमः मंत्र का जप करते हुए अपने अपराधों एवं त्रुटियों के लिये क्षमा मांगे तो पितृ दोष से उत्पन्न समस्त समस्याओं का निवारण हो जाता है। और अगर सोमवती अमावस्या हो तो पीपल की 108 बार परिक्रमा करने से विशेष लाभ मिलता है…!

-:सोमवती अमावस्या पर पितरों का तर्पण अवश्य ही करना चाहिए,तर्पण करते समय एक पीतल के बर्तन में जल में गंगाजल , कच्चा दूध, तिल, जौ, तुलसी के पत्ते, दूब, शहद और सफेद फूल आदि डाल कर पितरों का तर्पण करना चाहिए। तर्पण, में तिल और कुशा सहित जल हाथ में लेकर दक्षिण दिशा की तरफ मुँह करके तीन बार तपरान्तयामि, तपरान्तयामि, तपरान्तयामि कहकर पितृ तीर्थ यानी अंगूठे की ओर जलांजलि देते हुए जल को धरती में किसी बर्तन में छोड़ने से पितरों को तृप्ति मिलती है। ध्यान रहे तर्पण का जल तर्पण के बाद किसी वृक्ष की जड़ में चड़ा देना चाहिए वह जल इधर उधर बहाना नहीं चाहिए.!

तथापि अमावस्या का महत्व है लेकिन सोमवार एवं शनिवार को पड़ने वाली अमावास्या विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है। इसके अतिरिक्त मौनी अमावस्या और सर्वपितृ दोष अमावस्या अति महत्वपूर्ण मानी गयी है.!

विशेषकर फाल्गुनी अमावस्या में भ्गवान विष्णु का स्मरण एवं भागवत कथा का पाठ करना उत्तम माना गया है.इस दिन किए गए दान और पूण्य का अक्षय फल प्राप्त होता है.संतान के सुख एवं परिवार की सुख समृद्धि के लिए भी इस दिन किया गया व्रत एवं पूजन अत्यंत लाभकारी माना गया है.परिवार में यदि किसी कारण से पितृ दोष की स्थिति उत्पन्न होती है या किसी जातक की कुण्डली में पितर दोष का निर्माण होता है, तो उस स्थिति में इस अमावस्या के दिन विशेष रुप से पूजन एवं उपवास का पालन करने से दोष की शांति होती है.!

नोट :- अपनी पत्रिका से सम्वन्धित विस्तृत जानकारी अथवा ज्योतिष,अंकज्योतिष,हस्तरेखा,वास्तु एवं याज्ञिक कर्म हेतु सम्पर्क करें...!
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print
नये लेख