Vaidic Jyotish
September 8, 2024 5:21 AM

Surya Dakshinayan 2024: सूर्य दक्षिणायन

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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Surya Dakshinayan 2024: नमो नारायण…हिंदु पंचांग के अनुसार एक वर्ष में दो अयन होते हैं.अर्थात एक साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है और यही परिवर्तन या अयन ‘उत्तरायण और दक्षिणायन’ कहा जाता है. कालगणना के अनुसार जब सूर्य मकर राशि से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है,तब यह तक के समय को उत्तरायण कहते हैं.यह समय छ: माह का होता है. तत्पश्चात जब सूर्य कर्क राशि से सिंह, कन्या, तुला,वृश्चिक,और धनु राशि में विचरण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं.इस प्रकार यह दोनो अयन 6-6 माह के होते हैं.I

अयन का अर्थ होता है परिवर्तन। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में दो अयन होते हैं। साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन में रहते हैं।

16 जुलाई को सूर्य मिथुन राशि को छोड़कर कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इसी के साथ दक्षिणायान शुरू हो जाएगा।
ज्योतिष और धर्म शास्त्रों में सूर्यदेव का विशेष महत्व है। सूर्यदेवता प्रत्यक्ष देव हैं। ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा कहा गया है और सूर्य यश, पद, नौकरी और आत्मा के कारक ग्रह है। 16 जुलाई को सूर्य उत्तरायण से दक्षिणायन होने जा रहे हैं। सूर्य एक महीने के अंतराल में एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। इसी प्रक्रिया को सूर्य संक्रांति के नाम से जाना जाता है। एक वर्ष में 12 संक्रांतियां होती है। 16 जुलाई को सूर्य मिथुन राशि को छोड़कर कर्क राशि में प्रवेश कर जाएंगे। इसी के साथ दक्षिणायान शुरू हो जाएगा। जो अगले 6 महीनों तक चलेगा। इसी के साथ कर्क राशि से लेकर 6 राशियों कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक और धनु राशि की सूर्य की यात्रा की अवधि के मध्य पितरों का दिन और देवताओं की रात्रि आरम्भ हो जायेगी।

अयन का अर्थ होता है परिवर्तन। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार एक वर्ष में दो अयन होते हैं। साल में दो बार सूर्य की स्थिति में परिवर्तन होता है। सूर्य 6 महीने उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन में रहते हैं। आइए जानते हैं सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन के बारे में।

-:Surya Dakshinayan 2024: ज्योतिषीय दृष्टि में उत्तरायण और दक्षिणायन’:-

हिंदू पंचांग के अनुसार जब सूर्य मकर से मिथुन राशि तक भ्रमण करता है, तो इस अंतराल को उत्तरायण कहते हैं। सूर्य के उत्तरायण की यह अवधि 6 माह की होती है। वहीं जब सूर्य कर्क राशि से धनु राशि तक भ्रमण करता है तब इस समय को दक्षिणायन कहते हैं। दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। सौरमास का आरम्भ सूर्य संक्रांति से होता है। सूर्य की एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति को सौरमास कहते हैं।

-:’Surya Dakshinayan 2024: उत्तरायण का महत्व’:-

उत्तरायण मास को देवी- देवताओं का दिन माना गया है। उत्तरायण के 6 महीनों के दौरान नए कार्य जैसे- गृह प्रवेश , यज्ञ, व्रत, अनुष्ठान, विवाह, मुंडन आदि जैसे कार्य करना शुभ माना जाता है। उत्तरायण के समय दिन लंबा और रात छोटी होती है। इसमें तीर्थयात्रा, धामों के दर्शन और उत्सवों का समय होता है। उत्तरायण के दौरान तीन ऋतुएं होती है- शिशिर, बसन्त और ग्रीष्म

-:’Surya Dakshinayan 2024: दक्षिणायन का महत्व’;-

मान्यताओं के अनुसार दक्षिणायन का काल देवताओं की रात्रि मानी गई है। दक्षिणायन के समय में रातें लंबी हो जाती हैं और दिन छोटे होने लगते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दक्षिणायन होने पर सूर्य दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करता है। दक्षिणायन में विवाह, मुंडन, उपनयन आदि विशेष शुभ कार्य निषेध माने जाते हैं। दक्षिणायन के दौरान वर्षा, शरद और हेमंत, ये तीन ऋतुएं होती हैं। तामसिक प्रयोगों के लिए दक्षिणायन का समय उपयुक्त होता है।

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
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