Surya Grahan: वलयकार सूर्यग्रहण

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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ॐ घृणि सूर्याय नमः……अक्टूबर का महीना विशिष्ट खगोलीय घटनाओं वाला होने वाला है. इस महीने ना सिर्फ साल का आखिरी सूर्य ग्रहण बल्कि साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लग रहा है.सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse) 14 अक्टूबर, शनिवार के दिन लगने जा रहा है.इससे पहले साल का पहला सूर्य ग्रहण अप्रैल में लगा था.!

आश्विन अमावस्या 14 अक्टूबर, शनिवार के दिन लगने वाला सूर्य ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण (Annular Solar Eclipse) होने वाला है.इस सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर भी कहा जाता है.इसका कारण यह है कि सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के मध्य से गुजरता है.वलयाकार सूर्य ग्रहण में चंद्रमा पृथ्वी से औसत से ज्यादा दूरी पर होता है जिस चलते यह सूर्य से छोटा दिखता है. ऐसे में सूर्य का मध्य भाग तो चंद्रमा घेर लेता है लेकिन बाहरी हिस्सा एक छल्ले सा दिखाई पड़ता है. इसीलिए इस वलयाकार सूर्य ग्रहण को रिंग ऑफ फायर (Ring Of Fire) भी कहते हैं क्योंकि इस ग्रहण में ऐसा लगता है जैसे आसमान में आग का छल्ला लटक रहा हो.!
14 अक्टूबर के दिन लग रहे सूर्य ग्रहण को भारत से नहीं देखा जा सकेगा.पश्चिमी गोलार्ध पर रह रहे लोग ही इस सूर्य ग्रहण को देख सकेंगे.संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के ओरेगॉन से टेक्सेस तक इसे देखा जा सकता है.मेक्सिको, निकारगुआ, कोस्टा रिका, पनामा, कोलंबिया और ब्राजील के लोग भी इस सूर्य ग्रहण को देख सकेंगे. वहीं, अलास्का और अर्जेंटिना में लोग इस सूर्य ग्रहण का कुछ हिस्सा देख पाएंगे.!

-:”14 अक्टूबर 2023 सूर्य ग्रहण अवधी”:-
ग्रहण प्रारम्भ रात्रि 20 बजकर 34 मिनट से,ग्रहण कंकण प्रारम्भ रात्रि 21 बजकर 42.मिनट से ,परम ग्रास रात्रि 23.बजकर 30.मिनट पर,कंकण समाप्त 25.बजकर 17.मिनट पर एवं ग्रहण समाप्त (ग्रहण मोक्ष) 26.बजकर 25. मिनट पर होगा,इस ग्रहण की कुल अवधी 05 घंटा 23.मिनट रहेगी.वर्ष के इस अन्तिम सूर्य ग्रहण का सूतक 14.अक्टूबर को प्रातः 08.बजकर 34 मिनट से आरम्भ हो जायेगा.!

नोट :- यह वलयकार सूर्यग्रहण भारत वर्ष {India} में दिखाई नहीं देगा,अतैव इस ग्रहण के सुतकादि का विचार भारत वर्ष (india) में मान्य नहीं होंगे,अपितु गर्भवती महिलाओं को समस्त सावधानी रखनी होंगी.!

-:सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते है:-
01.पूर्ण सूर्य ग्रहण (Full Solar Eclipse)
पूर्ण सूर्य ग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पूरी तरह से पृ्थ्वी को अपने छाया क्षेत्र में ले लेता है. इसके फलस्वरुप सूर्य का प्रकाश पृ्थ्वी तक पहुंच नहीं पाता है. और पृ्थ्वी पर अंधकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है. इस प्रकार बनने वाला ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाता है.!

02.आंशिक सूर्यग्रहण (Partial Solar Eclipse)
आंशिक सूर्यग्रहण में चन्दमा, सूर्य के केवल कुछ भाग को ही अपनी छाया में ले पाता है. इससे सूर्य का कुछ भाग ग्रहण ग्रास में तथा कुछ भाग ग्रहण से अप्रभावित रहता है. इसे आंशिक सूर्यग्रहण कहा जाता है.!

03. वलय सूर्यग्रहण (Elliptical Solar Eclipse)
तीसरे और अंतिम प्रकार का सूर्य ग्रहण “वलय सूर्यग्रहण” के नाम से जाना जाता है. इस प्रकार के ग्रहण के समय चन्द्र सूर्य को इस प्रकार से ढकता है, कि सूर्य का केवल मध्य भाग ही छाया क्षेत्र में आता है. सूर्य के बाहर का क्षेत्र प्रकाशित होने के कारण कंगन के समान प्रतीत होता हे. कंगन आकार में बने सूर्यग्रहण को ही वलय सूर्यग्रहण कहा जाता है…!

-:सूतक काल एवं ग्रहण अवधी में क्या न करें:-
शास्त्रों में ग्रहण के समय कई तरह की सावधानियां बरतने के बारे में कहा गया है:-
– ग्रहण के दौरान पूजा-पाठ करना वर्जित माना गया है ऐसे में ग्रहण के दौरान और ग्रहण के खत्म होने तक भगवान की मूर्ति नहीं छूना चाहिए,मंदिरों के कपाट बंद कर देना चाहिए..!
– गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान विशेष सावधानी बरतनी चाहिए ऐसे में इस दौरान ना तो ग्रहण देखना चाहिए और ना ही घर के बाहर निकलना चाहिए.एवं सुई एवं चाकू से सम्वन्धित कोई भी कार्य नहीं करने चाहिए.!
– सूतक लगने पर और ग्रहण के दौरान सबसे ज्यादा नकारात्मक शक्तियां हावी रहती हैं.सूतक लगने पर किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करने से बचना चाहिए.!

-:वलयकार सूर्य ग्रहण के पश्चात क्या करें:-
यह सूर्य ग्रहण अमावस्या एवं शनिवार के दिन घटित होने के कारण वलयकार संज्ञक है.शास्त्रों में वलयकार ग्रहण के पुण्यकाल में स्नान,दान और जप इत्यादि का विशेष महत्व माना गया है.इस दिन ग्रहण के पुण्यकाल अर्थात पूर्ण होने के बाद पवित्र तीर्थों पर जाकर स्नान करना और दान करना शुभ होता है.!

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