Upang Lalita Vrat 2024: जय माता दी….आदि शक्ति माँ ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं,उपांग ललिता का व्रत भक्तजनों के लिए शुभ फलदायक होता है.इस वर्ष उपांग ललिता व्रत 07 अक्तूबर 2024 के दिन किया जाएगा.इस दिन उपांग ललिता की पूजा भक्ति-भाव सहित करने से देवी मां की कृपा व आशिर्वाद प्राप्त होता है.जीवन में सदैव सुख व समृद्धि बनी रहती है. पौराणिक आख्यानों के अनुसार आदिशक्तित्रिपुर सुंदरी जगत जननी ललिता माता के दर्शन से समस्त कष्टों का निवारण स्वत: ही हो जाता है…!
–:Upang Lalita Vrat 2024: उपांग ललिता:–
उपांग ललिता शक्ति का वर्णन पुराणों में प्राप्त होता है.जिसके अनुसार पिता दक्ष द्वारा अपमान से आहत होकर जब दक्ष पुत्री सती ने अपने प्राण उत्सर्ग कर देती हैं.सती के वियोग में भगवान शिव उनका पार्थिव शव अपने कंधों में उठाए चारों दिशाओं में घूमने लगते हैं.इस महाविपत्ति को यह देख भगवान विष्णु चक्र द्वारा सती की देह को विभाजित कर देते हैं.तत्पश्चात भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ललिता के नाम से पुकारा जाने लगा…!
ललिता माँ का प्रादुर्भाव तब होता है जब ब्रह्मा जी द्वारा छोडे गये चक्र से पाताल समाप्त होने लगा. इस स्थिति से विचलित होकर ऋषि-मुनि भी घबरा जाते हैं और संपूर्ण पृथ्वी धीरे-धीरे जलमग्न होने लगती है.तब सभी ऋषि माता ललिता देवी की उपासना करने लगते हैं.उनकी प्रार्थना से प्रसन्न होकर देवी जी प्रकट होती हैं तथा इस विनाशकारी चक्र को थाम लेती हैं. सृष्टि पुन: नवजीवन को पाती है….!
–“Upang Lalita Vrat 2024: उपांग ललिता पंचमी:–
उपांग ललिता व्रत समस्त सुखों को प्रदान करने वाला होता है. देवी की पूजा भक्त को शक्ति प्रदान करती है.इस अवसर पर देवी के समस्त मंदिरों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है.अनेक जगहों भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है, हज़ारों श्रद्धालु श्रद्धा और हर्षोल्लासपूर्वक इस दिन को मनाते हैं. उपांग ललिता के अवसर पर मां की पूजा-आराधना का कुछ विशेष ही महत्व होता है….!
यह पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है. पौराणिक मान्यतानुसार इस दिन देवी ललिता राक्षस को मारने के लिए अवतरण लेती हैं. इस दिन भक्तगण षोडषोपचार विधि से मां ललिता का पूजन करते है. इस दिन मां ललिता के साथ साथ स्कंदमाता और शिव शंकर की भी शास्त्रानुसार पूजा की जाती है….!
–:Upang Lalita Vrat 2024: उपांग ललिता पूजन:–
शक्तिस्वरूपा देवी ललिता को समर्पित उपांग ललिता पंचमी आश्विन मास के शुक्ल पक्ष को पांचवे नवरात्र के दिन मनाई जाती है.इस शुभ दिन भक्तगण व्रत एवं उपवास का पालन करते हैं,यह दिन उपांग ललिता व्रत के नाम से जाना जाता है.देवी ललिता जी का ध्यान रुप बहुत ही उज्जवल व प्रकाश मान है.माता की पूजा श्रद्धा एवं सच्चे मन से की जाती है…..!
कालिकापुराण के अनुसार देवी की दो भुजाएं हैं,यह गौर वर्ण की, रक्तिम कमल पर विराजित हैं. ललिता देवी की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है.दक्षिणमार्गी शाक्तों के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है. इनकी पूजा पद्धति देवी चण्डी के समान ही है ललितासहस्रनाम,ललितात्रिशती का पाठ किया जाता है……!