Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

वैशाख अमावस्या
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Vaishakh Amavasya 2023: ॐ नमः शिवाय… वैशाख अमावस्या का पर्व वैशाख माह की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है.वैशाख अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने व धर्म स्थलों पर जाकर दान-जप-तप इत्यादि करने का भी विशेष महत्व माना गया है.!

-:’Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या शुभमुहूर्त’:-

इस वर्ष वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल 2023 के दिन मनाई जाएगी. अमावस्या तिथि का बुधवार 19 अप्रैल को पूर्वाह्न 11:24 से होगी तथा गुरुवार 20, अप्रैल 2023 को 09:43 पर अमावस्या तिथि की समाप्ति होगी.शास्त्रानुसार वैशाख अमावस्या पर्व गुरुवार 20 अप्रैल 2023 के दिन मनाना शास्त्र सम्मत होगा.II

-:’Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या पूजा एवं उपासना पद्धति’:-

वैशाख अमावस्या के दौरान कई प्रकार के कृत्य किये जाते हैं. इन में से प्रमुख कार्य अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान एवं उनके निम्मित तर्पण का कार्य करना है. अमावस्यअ के दिन प्रातः सूर्योदय के पूर्व उठ जाना चाहिये. यदि आप ऎसे स्थान पर रहते हैं जहां कोई नदी या सरोवर है तो वहां जाकर स्नान करना चाहिये. यदि ऎसा संभव न हो सके तो घर पर ही स्नान करना चाहिए. स्नान करते समय पानी में गंगाजल, हल्दी व तिल डालकर – स्नान करना चहिए.!
स्नान करने के उपरांत श्री हरि का स्मरण करना चाहिये व अपने ईष्ट देव को नमस्कार करना चाहिए. अपने घर के वरिष्ठ सदस्यों बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद ग्रहण करना चाहिए. सूर्य को तांबे के लोटे में जल अर्पित करना चाहिए. सूर्य देव को नमस्कार करने व अर्घ्य देन के पश्चात अपने पितरों को याद करना चाहिये.!

-:जल में तिलों को प्रवाहित करना चाहिए या फिर दान करना चाहिए.!
-:पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण एवं उपवास करना चाहिये.!
-:गरीब व अस्मर्थ लोगों को खाने की वस्तुएं दान करनी चाहिए.!
-:वैशाख अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ पर दूध एवं जल चढ़ाना चाहिए.!
-:संध्या के समय पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का चौमुखी दीपक जलाना चाहिए.!
-:ब्राह्मणों को भोजन एवं सामर्थ्य अनुरुप वस्त्र एवं धन इत्यादि दक्षिणा स्वरुप प्रदान करना चाहिये.!

-:Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस विशेषाङ्क’:-

अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त तर्पण के विषय में कहा गया है की जो भी व्यक्ति अपने पितरों के समक्ष तर्पण का कार्य नहीं करता है उसके पितरों को कष्ट प्राप्त होता है. व्यक्ति को पितृदोष भी लगता है. गरुण पुराण के अनुसार जब तक पितरों का श्राद्ध न किया जाए तब तक उनकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है. ऎसे में अमावस्या के दिन पितृ तर्पण के कार्य को प्रधानता दी जाती है क्योंकि अमावस्या पितरों का दिन होता है. इस संदर्भ में एक पौराणिक कथा अनुसार भगवान श्रीराम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध एव तर्पण कार्य किया था. राम के द्वारा किये गए इस कार्य द्वारा ही उनके पिता दशरथ को मुक्ति प्राप्ति हुई और वे स्वर्ग लोक की ओर प्रस्थान कर पाते हैं.!
इसके अतिरिक्त यदि किसी व्यक्ति की कुण्डली में पितृदोष का निर्माण होता है, परिवार में सदैव कलेश रहता है, संतान का सुख नही मिल पा रहा है, जीवन में हमेशा सुख और सफलता कोसों दूर रहते हैं, तो उस स्थिति में यदि अमावस्या के दिन अगर पितृदोष के उपाय किये जाएं तो यह बहुत कारगर सिद्ध होते हैं ओर व्यक्ति को बहुत सी सकारात्मकता प्राप्त होती है.!

-:’Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख अमावस्या कथा’:-

वैशाख अमावस्या के साथ बहुत सी कथाएं संबंधित हैं जिनमें से एक कथा इस प्रकार है -प्राचीन समय की बात है, एक नगर में धर्मवर्ण नाम का एक ब्राह्मण निवास करता था. वह ब्राहमण शुद्ध एवं सात्विक प्रवृत्ति का था. निर्धन होते हुए भी वह मन-कर्म एवं वचन द्वारा सदैव शुभ कर्मों को करने में लगा रहता था. उसके पास जो भी व्यक्ति आता ह उसकी सदैव मदद करता था. साधु संतों एवं ऋषिओं के प्रति वह सदैव नतमस्तक होता था. वह सत्संग में भी शामिल हुआ करता था.!
एक बार किसी सत्संग में उसने यह बात सुनी की कलियुग में श्री विष्णु के स्मरण मात्र से ही व्यक्ति के समस्त कष्ट दूर हो जाते हैं और हरी सुमिरन करने से समस्त शुभ फलों की प्राप्ति होती है. धर्मवर्ण के मन को यह बात घर कर गयी. उसने श्री हरी के स्मरण को मन में सदैव के लिए बसा लिया और वानप्रस्थ को अपना कर सांसारिक जीवन से मुक्त हो कर, सन्यास धारण किया. अपने भ्रमण काल के दौरान वह पितृलोक को जा पहुंचा. जहां वह देखता है की उसके पितरों को बहुत कष्ट मिल रहा होता है.!
धर्मवर्ण जब अपने पितरों से इस कष्ट का कारण पूछता है, तो पितर बताते हैं कि उसके सांसारिक जीवन को त्याग देने व गृहस्थ का पालन न करने से उसके वंश की वृद्धि नहीं हो पाई और इस कारण पितृ कष्ट भोग रहे हैं. यदि धर्मवर्ण की संतान नहीं होगी तो कौन उसके पितरों के लिए पिंडदान का कार्य करेगा. हम यहां भटकते रह जाएंगे हमारी सदगति नहीं होगी. इसलिए हमारी मुक्ति हेतु तुम गृहस्थ जीवन का पालन करो और हमारी मुक्ति का मार्ग खोलो और आने वाली वैशाख अमावस्या के दिन विधि-विधान से हमारा पिंडदान करो. धर्मवर्ण को जब इन बातों का बोध होता है तो वह अपने पितरों को वचन देता है. वह सन्यास को त्याग कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश करते हुए सांसारिक कार्यों को पूरा करने लगता है. उसकी संतानों की उत्पति और वैशाख माह में किये गए पिण्डदान द्वारा उसके पितृ मुक्ति प्राप्त करते हैं.!

-:’Vaishakh Amavasya 2023: वैशाख और खान पान’:-

इस दिन अमावस्या के दिन यदि व्रत नियम धारण कर रहे हैं तो इसके लिए जरुरी है की शुद्धता एवं सात्विकता को अपने भीतर जरुर लाएं. यह वह समय है जब देह के साथ साथ मन का पवित्र होना भी अत्यंत आवश्यक होता है. धर्म शास्त्रों एमं मन, वचन और कर्म की शुद्धता को सदैव ही प्रमुखता दी गई है. इस पवित्रता में भी सबसे महत्वपूर्ण स्थान मन की पवित्रता को दिया गया है. मानसिक रुप से किया गया शुद्ध तप हमारे अंत:करण को शुद्ध करता है और हमारी आत्मा को भी पवित्रता से भर देता है. यदि व्रत न रख पाएं तो इस दिन जितना सात्विक आहार लिया जाए उतना ही शरीर में मौजूद अपवित्रता में कमी आती है. यह स्थिति तन एवं मन दोनों की शुद्धता को प्रभावित करने वाली होती है.II

नोट :- अपनी पत्रिका से सम्वन्धित विस्तृत जानकारी अथवा ज्योतिष,अंकज्योतिष,हस्तरेखा,वास्तु एवं याज्ञिक कर्म हेतु सम्पर्क करें.!

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