Vaman Jayanti: श्री वामन जयन्ति

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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नमो नारायण….भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को वामन जयन्ती मनाई जाती है.इस वर्ष 26 सितम्बर 2023 को वामन जयंति मनाई जाएगी,इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रुप कि पूजा की जाती है.इस व्रत को करने से व्यक्ति के सुख,सौभाग्य में बढोतरी होती है.!

वामन अवतार भगवान विष्णु का महत्वपूर्ण अवतार माना जाता है.भगवान की लीला अनंत है और उसी में से एक वामन अवतार है इसके विषय में वेद पुराण में विस्तार पूर्वक कहा गया. इसमें भगवान की लीला का अद्भुत वर्णन है. श्रीमद्भगवद पुराण में भी इस अवतार का उल्लेख मिलता है.!

वामन अवतार कथा अनुसार देव और दैत्यों के युद्ध में असुर पराजित होने लगते हैं. पराजित असुर मृत एवं आहतों को लेकर अस्ताचल चले जाते हैं और दूसरी ओर असुर नरेश बलि इन्द्र के वज्र से मृत हो जाते हैं तब आचार्य शुक्राचार्य अपनी संजीवनी विद्या से बलि और दूसरे असुरों को भी जीवित एवं स्वस्थ कर देते हैं. राजा बलि के लिए शुक्राचार्य जी एक यज्ञ का आयोजन करते हैं तथ अग्नि से दिव्य रथ, त्रोण, अभेद्य कवच पाते हैं इससे असुरों की शक्ति में इज़ाफा होता है और असुर सेना अमरावती पर आक्रमण करने लगती है.!

इंद्र को राजा बली की मनोइच्छा का भान होता है कि राजा बलि इस सौ यज्ञ पूरे करने के बाद स्वर्ग को प्राप्त करने में सक्षम हो जाएंगे, तब इन्द्र भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं. भगवान विष्णु उनकी सहायता करने का आश्वासन देते हैं और भगवान विष्णु वामन रुप में माता अदिति के गर्भ से उत्पन्न होने का वचन देते हैं. दैत्यराज बलि द्वारा देवों के पराभव के बाद कश्यप जी के कहने से माता अदिति पयोव्रत का अनुष्ठान करती हैं जो पुत्र प्राप्ति के लिए किया जाता है. तब भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी के दिन अदिति के गर्भ से प्रकट हो अवतार लेते हैं तथा ब्राह्मण-ब्रह्मचारी का रूप धारण करते हैं.!

महर्षि कश्यप ऋषियों के साथ उनका उपनयन संस्कार करते हैं वामन बटुक को महर्षि पुलह ने यज्ञोपवीत, अगस्त्य ने मृगचर्म, मरीचि ने पलाश दण्ड, आंगिरस ने वस्त्र, सूर्य ने छत्र, भृगु ने खड़ाऊं, गुरु देव जनेऊ तथा कमण्डल, अदिति ने कोपीन, सरस्वती ने रुद्राक्ष माला तथा कुबेर ने भिक्षा पात्र प्रदान किए तत्पश्चात भगवान वामन पिता से आज्ञा लेकर बलि के पास जाते हैं राजा बली नर्मदा के उत्तर-तट पर अन्तिम अश्वमेध यज्ञ कर रहे होते हैं.!

वामन अवतार ले, ब्राह्माण वेश धर कर, राजा बलि के यहां भिक्षा मांगने पहुंच गयें. ब्राह्माण बने श्री विष्णु ने भिक्षा में तीन पग भूमि मांग ली. राजा बलि अपने वचन पर अडिग रहते हुए, श्री विष्णु को तीन पग भूमि दान में दे दी. वामन रुप में भगवान ने एक पग में स्वर्ग ओर दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया. अभी तीसरा पैर रखना शेष था. बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया. ऎसे मे राजा बलि अपना वचन नहीं निभाता तो अधर्म होगा है. आखिरकार उसने अपना सिर भगवान के आगे कर दिया और कहां तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए. वामन भगवान ने ठिक वैसा ही किया, श्री विष्णु के पैर रखते ही, राजा बलि परलोक पहुंच गए.!

बलि के द्वारा वचन का पालन करने पर, भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न्द हुए, उन्होंने आग्रह किया कि राजा बलि उनसे कुछ मांग लें. इसके बदले में बलि ने रात दिन भगवान को अपने सामने रहने का वचन मांग लिया., श्री विष्णु को अपना वचन का पालन करते हुए, राजा बलि का द्वारपाल बनना पडा…!

-:’वामन जयंती महत्व”:-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर इस दिन श्रावण नक्षत्र हो तो इस व्रत की महत्ता और भी बढ़ जाती है। भक्तों को इस दिन उपवास करके वामन भगवान की स्वर्ण प्रतिमा बनवाकर पंचोपचार सहित उनकी पूजा करनी चाहिए. जो भक्ति श्रद्धा एवं भक्ति पूर्वक वामन भगवान की पूजा करते हैं वामन भगवान उनको सभी कष्टों से उसी प्रकार मुक्ति दिलाते हैं जैसे उन्होंने देवताओं को राजा बलि के कष्ट से मुक्त किया था.!

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