Vaidic Jyotish
September 8, 2024 8:55 AM

Varaha Jayanti 2024: श्रीवराह जयन्ती

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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Varaha Jayanti 2024: ॐ वराहाय नमः…वाराह अवतार भगवान विष्णु का ही एक अवतार है. भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया में वराह जयंती मनाई जाती है. भगवान के इस अवतार में श्री हरि पापियों का अंत करके धर्म की रक्षा करते हैं. वाराह अवतार जयंती भगवान के इसी अवतरण को प्रकट करती है इस जयंती के अवसर पर भक्त लोग भगवान का भजन किर्तन व उपवास एवं व्रत इत्यादि का पालन करते हैं. इस वर्ष वाराह जयंती 06 सितंबर के दिन मनाई जाएगी.!

जगत के कल्याण हेतु जो लीलाधारी भगवान अनेकानेक अवतार लेते हैं. वराह भगवान का यह व्रत सुख, सम्पत्ति दायक एवं कल्याणकारी है. जो श्रद्धालु भक्त वराह भगवान के नाम से माघ शुक्ल द्वादशी के दिन व्रत रखते हैं उनके सोये हुए भाग्य जागृत होते हैं.!

-:’Varaha Jayanti 2024: वराह जयंती कथा’:-
हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु ने जब दिति के गर्भ से जुड़वां बच्चों रूप में जन्म लिया, इनके जन्म से पृथ्वी कांप उठी, आकाश में नक्षत्र एवं लोक डोलने लगे, समुद्र में भयंकर लहरें उठने लगीं ऐसा ज्ञात हुआ, मानो जैसे प्रलय का आगमन हो गया हो. इतना भयान का इन दोनों का जन्म लेना.!

यह दोनों दैत्य जन्म उपरांत ही बड़े हो गए. इनका शरीर वज्र के समान कठोर और विशाल हो गया, दोनों बलवान थे, और संसार में अजेयता और अमरता प्राप्त करना चाहते थे इसलिए हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु दोनों ने ब्रह्माजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया इनकी तपस्या से प्रसन्न हो ब्रह्मा जी ने इन्हें दर्शन दिए वरदान मांगने को कहा, दोनों भाइयों ने यह वर मांगा कि हे प्रभु कोई भी युद्ध में हमें पराजित न कर सके और न कोई मार सके. ब्रह्माजी ने उन्हें यही वरदान देकर अपने लोक चले जाते हैं. ब्रह्मा जी से वरदान पाकर हिरण्याक्ष और भी अधिक उद्दंड और निरंकुश बन गया, तीनों लोकों में अपने को सर्वश्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए अनेक अत्याचार करने लगा और तीनों लोकों को जीतने निकल पडा़ वह इन्द्रलोक में पहुंचा देखते ही देखते समस्त इन्द्रलोक पर हिरण्याक्ष का अधिकार हो गया इसके बाद दैत्य हिरण्याक्ष वरुण की राजधानी विभावरी नगरी में पहुंचा और वरुण देव को युद्ध के लिए ललकारा, हिरण्याक्ष के वचन सुनकर वरुण देव क्रोद्धित हुए परंतु अपने क्रोद्ध को हृदय में दबाकर शांत भाव मुस्कुराते हुए बोले कि हो सकता है की तुम महान योद्धा और शूरवीर हो.परंतु श्री विष्णु से अधिक नहीं तीनों लोकों में भगवान विष्णु को छोड़कर कोई भी ऐसा नहीं है, जो महान हो अतः उन्हीं के पास जाओ वही तुम्हारे साथ युद्ध कर सकते हैं और तुम्हें पराजित करेंगे. वरुण का कथन सुनकर हिरण्याक्ष अत्यधिक क्रोद्धित होकर भगवान विष्णु की खोज में निकल पड़ता है, देवर्षि नारद से उसे ज्ञात होता है कि भगवान विष्णु इस समय वाराह का रूप धारण कर पृथ्वी को रसातल से निकालने के लिये गये हैं. तब हिरण्याक्ष समुद्र के नीचे रसातल में जा पहुँचा. वहाँ उसने देखा कि वाराह अपने दांतों पर पृथ्वी को उठाते हुए जा रहा है. दैत्य, वाराह को असभ्य भाषा मे अभद्र वचन कहते हुए पृ्थ्वी को ले जाने से रोकता है.!

हिरण्याक्ष की कटु वाणी को अनसुना करते हुए भगवान विष्णु शांत हो वराह के रूप में दांतों पर धरती को लिए हुए आगे बढ़ते रहते हैं. दैत्य भगवान वराह का पीछे नहीं छोड़ता वह उन्हें निर्लज्ज, कायर, पशु, अधम पापी कहता है किंतु भगवान वाराह पृथ्वी को रसातल से बाहर निकलकर समुद्र के ऊपर स्थापित कर देते हैं.!

वाराह पर अपनी बातों का असर न होता देख हिरण्याक्ष हाथ में गदा लेकर भगवान विष्णु पर प्रहार करता है तब भगवान हिरण्याक्ष के हाथ से गदा छीनकर उसे दूर फेंक देते हैं वह त्रिशूल लेकर भगवान विष्णु को मारने का प्रयास करता है लेकिन शीघ्र ही भगवान वाराह सुदर्शन चक्र द्वारा हिरण्याक्ष के त्रिशूल के टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं भगवान वाराह और हिरण्याक्ष मे मध्य भयंकर युद्ध होता है और अन्त में भगवान वाराह के हाथों से हिरण्याक्ष का वध होता है.!

-:’Varaha Jayanti 2024: वाराह जयंती (द्वादशी) व्रत विधान’:-
जो भगवत् भक्त वराह जयंती का व्रत रखते हैं उन्हें जयंती तिथि को संकल्प करके एक कलश में भगवान वराह की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए. भगवान की स्थापना करने के पश्चात विधि विधान सहित षोडषोपचार से भगवान वराह की पूजा करनी चाहिए. पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में जगारण करके भगवान विष्णु के अवतारों की कथा कहनी और सुननी चाहिए. त्रयोदशी के दिन कलश मे स्थित वराह भगवान की पूजा करने के बाद, विसर्जन करना चाहिए. विसर्जन के पश्चात प्रतिमा को ब्राह्मण या आचार्य को दान देना चाहिए.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पितAstro Dev YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II
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