नमो नारायण…… “वसन्तः रमणीयः ऋतुः अस्ति,इदानीं शीतकालस्य भीषणा शीतलता न भवति,मन्दं मन्दं वायुः चलती.विहंगाः कूजन्ति,विविधैः कुसुमैः वृक्षाः आच्छादिताः भवन्ति,कुसुमेषु भ्रमराः गुज्जन्ति, धान्येन धरणी परिपूर्णा भवति,कृषकाः प्रसन्नाः दृश्यन्ते,कोकिलाः मधुरं गायन्ति,आम्रेषु मज्जर्यः दृश्यन्ते, मज्जरीभ्यः मधु स्रवति.!”
भावार्थ :- वसन्त एक सुन्दर ऋतु है,इस समय शीत काल की तरह भीषण ठंडा नहीं रहता है,धीरे-धीरे हवा वहती है,विभिन्न प्रकार के फूलों से वृक्ष भर जाते हैं,फूलों पर भौरा गुंजते हैं,पृथ्वी धान्य से भर जाता है,किसान प्रशन्न रहते हैं,कोयल मधुर गाते है,आमों में मंजर देखे जाते है,मजरों से मधु तैयार होता है.!
वसंत ऋतु का आगमन प्रकृति को वासंती रंग से सराबोर कर जाता है,माघ के महीने की पंचमी को वसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है,मौसम का सुहाना होना इस मौके को और रूमानी बना देता है, वसंत पंचमी को श्री पंचमी तथा ज्ञान पंचमी भी कहते हैं,वर्ष 2024 में वसंत ऋतू 19 फरवरी से 19 अप्रैल तक रहेगी.!
वसंत कामदेव का मित्र है,इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है,इस धनुष की कमान स्वरविहीन होती है,यानी जब कामदेव कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है,कामदेव का एक नाम ‘अनंग’ है यानी बिना शरीर के यह प्राणियों में बसते हैं,एक नाम ‘मार’ है यानी यह इतने मारक हैं कि इनके बाणों का कोई कवच नहीं है,वसंत ऋतु को प्रेम की ही ऋतु माना जाता रहा है, इसमें फूलों के बाणों से आहत हृदय प्रेम से सराबोर हो जाता है.!
“द्रुमा सपुष्पा: सलिलं सपदम, स्त्रीय सकामा: पवन: सुगंधी:।
सुखा: प्रदोषा: दिवसाश्च रम्या:,सर्व प्रिये चारुतरं वसंते।।”
अलका..यह नाम लेते ही नयनों के सामने एक चित्र उभरता है उस भावमयी कमनीय भूमि का, जहां चिर-सुषमा की वंशी गूंजती रहती हो,जहां के सरोवरों में सोने के कमल खिलते हों,जहां मृण-तरू पात चिर वसंत की छवि में नहा रहे हों,अपार यौवन,अपार सुख,अपार विलास की इस रंगस्थली ने महाकवि कालिदास की कल्पना को अनुप्रमाणित किया,उनकी रस प्राण वाणी में फूट पड़ी विरही-यक्ष की करुण गाथा.!
गुनगुनी धूप,स्नेहिल हवा,मौसम का नशा प्रेम की अगन को और भड़काता है,तापमान न अधिक ठंडा,न अधिक गर्म,सुहाना समय चारों ओर सुंदर दृश्य,सुगंधित पुष्प, मंद-मंद मलय पवन,फलों के वृक्षों पर बौर की सुगंध, जल से भरे सरोवर,आम के वृक्षों पर कोयल की कूक ये सब प्रीत में उत्साह भर देते हैं,यह ऋतु कामदेव की ऋतु है। यौवन इसमें अंगड़ाई लेता है,दरअसल वसंत ऋतु एक भाव है जो प्रेम में समाहित हो जाता है.!
दिल में चुभता प्रेमबाण :- जब कोई किसी से प्रेम करने लगता है तो सारी दुनिया में हृदय के चित्र में बाण चुभाने का प्रतीक उपयोग में लाया जाता है,’मार’ का बाण यदि आपके हृदय में चुभ जाए तो आपके हृदय में पीड़ा होगी,लेकिन वह पीड़ा ऐसी होगी कि उसे आप छोड़ना नहीं चाहोगे,वह पीड़ा आनंद जैसी होगी,काम का बाण जब हृदय में चुभता है तो कुछ-कुछ होता रहता है,इसलिए तो वसंत का ‘मार’ से संबंध है, क्योंकि काम बाण का अनुकूल समय वसंत ऋतु होता है.!
नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook पर प्राप्त कर सकते हैं.II