‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा”
Vinayak Chaturthi Vrat: ॐ श्री सिद्धिविनायकाय नमो नमः….सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी व्रत का विशेष महत्व है,प्रत्येक महीने में दो बार आती है,कृष्ण पक्ष में आने वाली को संकष्ट चतुर्थी और शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है,यह व्रत बुद्धि, विवेक और बल के देव भगवान गणेश को समर्पित है,इस दिन गणपति जी की विशेष पूजा की जाती है,कहते हैं आज के दिन गणेश जी विधि अनुसार पूजा करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है,यहां जानें वर्ष 2023 में श्रीगणेश विनायक चतुर्थी डेट,मुहूर्त, पूजा विधि और कथा.!
“Vinayak Chaturthi Vrat: श्रीगणेश विनायक चतुर्थी व्रत Dates (तिथियाँ)
- 24 जनवरी 03:22 बजे – 25 जनवरी, 12:34 बजे तक
- 23 फरवरी को 03:24 बजे – 24 फरवरी को 01:34 बजे तक
- 24 मार्च 17:00 बजे – 25 मार्च को 16:23 बजे तक
- 23 अप्रैल 07:47 बजे – 24 अप्रैल को 08:25 बजे तक
- 22 मई को 11:19 बजे – 24 मई 12:58 बजे तक
- 21 जून 03:10 बजे – 22 जून को 17:28 बजे तक
- 21 जुलाई को 06:58 बजे – 22 जुलाई को 09:26 बजे तक
- 19 अगस्त 10:20 बजे – 21 अगस्त 12:22 बजे तक
- 18 सितंबर 12:39 बजे – 19 सितंबर को 13:43 बजे तक
- 18 अक्टूबर 01:26 बजे – 19 अक्टूबर को 01:12 बजे तक
- 16 नवंबर 12:35 बजे – 17 नवंबर 11:03 बजे तक
- 15 दिसंबर 10:30 बजे – 16 दिसंबर को 20:00 बजे तक
-:’Vinayak Chaturthi Vrat: श्रीगणेश विनायक चतुर्थी व्रत नियम’:-
-:व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यकर्मों के बाद स्वच्छ और लाल वस्त्र धारण करें।
-:इसके बाद व्रत का संकल्प लें और एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
-:अब गणेश भगवान के समक्ष एक दीया जलाएं और उन्हें कुमकुम और चंदन का लेप लगाएं।
-:पूजन के दौरान उन्हें चंदन, इत्र, लाल फूल और दूर्वा अवश्य अर्पित करें।
-:पूजन के बाद भगवान को प्रिय मोदक और बेसन या बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं।
-:प्रसाद चढ़ाने के बाद विनायक चतुर्थी की कथा सुनें और आरती करें।
-:इसके बाद ब्राह्मणों को खाना खिलाकर आप अपना व्रत खोल सकते हैं।
-:’Vinayak Chaturthi Vrat: श्रीसिद्धि विनायक मन्त्र’:-
1. ‘ॐ वक्रतुण्डाय हुं।’
2.ॐ गं गणपतये नम:।’
3. ‘ॐ मेघोत्काय स्वाहा।’
4. ‘ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा’
5. ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं क्लीं क्लीं गणपति वर वरद सर्व लोकं में वशमानय स्वाहा।’
6. ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।’
7. ‘ॐ नमो हेरम्ब मद मोहित मम् संकटान निवारय-निवारय स्वाहा।’
8. ‘ॐ गं हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा।’
-:’Vinayak Chaturthi Vrat: श्रीगणेश विनायक चतुर्थी व्रत कथा’:-
किवंदतियों के अनुसार एक बार महादेव किसी काम से कैलाश से बाहर गए थे और माता पार्वती को स्नान करना था।,ऐसे में उन्होंने अपने पसीने की बूंदों से एक लड़के को बनाया और उसका नाम गणेश रखा,माता पार्वती ने गणेश को स्नान स्थल के बाहर रखवाली करने को कहा,साथ ही किसी को भी अंदर आने की अनुमति नहीं देने के लिए कहा, जब तक कि उनका आदेश न हो.माता पार्वती के कहे अनुसार गणेश सहमत हो गए और अपनी मां की रखवाली के लिए खड़े हो गए.!
जब भगवान शिव कैलाश वापस आए, तो उन्होंने गणेश से कमरे के अंदर जाने की अनुमति देने के लिए कहा, जिसके लिए गणेश ने मना कर दिया,इसके बाद क्रोधित हुए भगवान शिव ने गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया और चले गए,देवी पार्वती ऐसा देख शोक में चली गईं,तब भगवान शिव एक हाथी का सिर ले आए और गणेश को पुनः जीवित कर दिए.!
-:’Vinayak Chaturthi Vrat: श्रीगणेश विनायक चतुर्थी व्रत महत्व:-
मान्यता है कि भगवान गणेश की पूजा से जीवन के सभी दुखों का नाश होता है,गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए विनायक चतुर्थी का दिन बेहद शुभ माना जाता है,कहते हैं इस दिन विधि-विधान गणपति जी की आराधना करने से रुके हुए कार्य भी पूर्ण हो जाते हैं,यह भी मान्यता है कि महिलाएं यदि ये व्रत रखें तो उन्हें शीघ्र ही संतान सुख प्राप्त होगा.I
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