जय माता दी…..पापाकुंशा एकादशी व्रत आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन किया जाता है.पापाकुंशा एकादशी के दिन मनोवांछित फल कि प्राप्ति के लिये श्री विष्णु भगवान कि पूजा की जाती है. इस वर्ष 25 अक्तूबर 2023 को यह व्रत किया जाएगा.एकादशी के पूजने से व्यक्ति को स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है.भगवान विष्णु का भक्ति भाव से पूजन आदि करके भोग लगाया जाता है…!
पापाकुंशा एकादशी हजार अश्वमेघ और सौ सूर्ययज्ञ करने के समान फल प्रदान करने वाली होती है. इस एकादशी व्रत के समान अन्य कोई व्रत नहीं है.इसके अतिरिक्त जो व्यक्ति इस एकादशी की रात्रि में जागरण करता है वह स्वर्ग का भागी बनता है. इस एकादशी के दिन दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. श्रद्धालु भक्तों के लिए एकादशी के दिन व्रत करना प्रभु भक्ति के मार्ग में प्रगति करने का माध्यम बनता है….!
—:पापाकुंशा एकादशी व्रत विधि:—
एकादशी व्रत में श्री विष्णु जी का पूजन करने के लिए वह धूप,दीप,नारियल और पुष्प का प्रयोग किया जाता है.एकादशी तिथि के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्य करने के बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए.संकल्प लेने के बाद घट स्थापना की जाती है और उसके ऊपर श्री विष्णु जी की मूर्ति रखी जाती है…..!
इसके साथ भगवान विष्णु का स्मरण एवं उनकी कथा का श्रवण किया जाता है.इस व्रत को करने वाले को विष्णु के सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए.इस व्रत का समापन एकादशी तिथि में नहीं होता है.बल्कि द्वादशी तिथि की प्रात: में ब्राह्माणों को अन्न का दान और दक्षिणा देने के बाद ही यह व्रत समाप्त होता है….!
—:पापांकुशा एकादशी व्रत कथा:—
पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा अनुसार विन्ध्यपर्वत पर महा क्रुर और अत्यधिक क्रोधन नामक एक बहेलिया रहता था.जीवन के अंतिम समय पर यमराज ने उसे अपने दरबार में लाने की आज्ञा दी.दूतोण ने यह बात उसे समय से पूर्व ही बता दी…..!
मृत्युभय से डरकर वह अंगिरा ऋषि के आश्रम में गया और यमलोक में जाना न पडे इसकी विनती करने लगा.अंगिरा ऋषि ने उसे आश्चिन मास कि शुक्ल पक्ष कि एकादशी के दिन श्री विष्णु जी का पूजन करने की सलाह देते हैं. इस एकादशी का पूजन और व्रत करने से वह अपने सभी पापों से मुक्त होकर विष्णु लोक को गया…..!
—:पापांकुशा एकादशी महत्व:—
पापांकुशा एकादशी व्रत में यथासंभव दान व दक्षिणा देनी चाहिए.पूर्ण श्रद्धा के साथ यह व्रत करने से समस्त पापों से छुटकारा प्राप्त होता है. शास्त्रों में एकादशी के दिन की महत्ता को पूर्ण रुप से प्रतिपादित किया गया है.इस दिन उपवास रखने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.जो लोग पूर्ण रूप से उपवास नहीं कर सकते उनके लिए मध्याह्न या संध्या काल में एक समय भोजन करके एकादशी व्रत करने की बात कही गई है…..!
एकादशी जीवों के परम लक्ष्य,भगवद भक्ति,को प्राप्त करने में सहायक होती है.यह दिन प्रभु की पूर्ण श्रद्धा से सेवा करने के लिए अति शुभकारी एवं फलदायक माना गया है. इस दिन व्यक्ति इच्छाओं से मुक्त हो कर यदि शुद्ध मन से भगवान की भक्तिमयी सेवा करता है तो वह अवश्य ही प्रभु की कृपापात्र बनता है……!
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