16 नवंबर को सूर्य के वृश्चिक राशि में आने से हेमंत ऋतु शुरू हो गई है,इस दौरान ठंड की शुरुआत होगी.इस ऋतु में अगहन और पौष महीने रहेंगे। ये दक्षिणायन की आखिरी ऋतु होती है.जो कि 14 जनवरी तक रहेगी,फिर मकर संक्रांति पर सूर्य के राशि बदलने से शिशिर ऋतु के साथ उत्तरायण भी शुरू हो जाएगा.!
पुराणों में हेमंत को पितरों की ऋतु बताया है,इसलिए अगहन मास में पितरों के लिए विशेष पूजा और दान करने का विधान है,वहीं पौष महीने में सूर्य पूजा से पितरों को संतुष्ट किया जाता है,इस दौरान सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा-पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं.!
-:’हेमन्त ऋतू हैं तीर्थ स्नान-पूजन-दान हेतु विशेष”
हेमंत ऋतु के दौरान मन शांत और प्रसन्न रहता है। ये स्थिति पूजा-पाठ और भगवत भजन के लिए अनुकूल मानी गई है,इसलिए इस ऋतु में श्रीकृष्ण पूजा के साथ स्नान दान की परंपराए भी बनाई गई हैं,ज्योतिषिय नजरिये से देखा जाए तो इस ऋतु के दौरान सूर्य वृश्चिक और धनु राशि में होता है.सूर्य की इस स्थिति के प्रभाव से धर्म और परोपकार के विचार आते हैं.!
“हेमंत ऋतु और स्वास्थ्य वृद्धि”
हेमंत को रोग दूर करने वाली ऋतु कहा गया है,इस ऋतु में डाइजेशन अच्छा होने लगता है,भूख बढ़ने लगती है.साथ ही इस दौरान खाई गई सेहतमंद चीजें भी शरीर को जल्दी फायदा देती हैं,इसलिए इस ऋतु में शारीरिक ताकत बढ़ने लगती है.!
इस ऋतु में ताजी हवा और सूर्य की पर्याप्त रोशनी सेहत के लिए फायदेमंद होती है,यही कारण है कि इस ऋतु में सुबह नदी स्नान का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में लिखा है,सुबह उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है,इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां खत्म हो जाती हैं.!
-:”सूर्य दक्षिणायन की अंतिम ऋतु हेमन्त”:-
ठंड के शुरुआती दिनों में हेमंत ऋतु होती है,इस दौरान खाई गई चीजों से शरीर की ताकत बढ़ने लगती है,इस ऋतु में सूर्य, वृश्चिक और धनु राशियों में रहता है,मंगल और बृहस्पति की राशियों में सूर्य के आ जाने से मौसम में अच्छे बदलाव होने लगते हैं,इसलिए भूख भी बढ़ने लगती है,इस ऋतु के खत्म होते ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है,यानी उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है.!
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