Adhik Maas 2023: पुरुषोत्तम/अधिक मास पूर्णिमा विशेषाङ्क

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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ॐ श्रीविष्णवे च विद्मिहे,वासुदेवाय धीमहि.तन्नो: विष्णोः प्रचोदयात ||

ॐ नमो नारायण…….पुरुषोत्तम अधिक मास पूर्णिमा 01 अगस्त को है,धार्मिक रूप से अधिक मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व है,संपूर्ण वर्ष में आने वाली सभी पूर्णिमा तिथियों की भांति इस अधिक मास की पूर्णिमा का भी अपना एक अलग प्रभाव होता है.इस दिन भगवान श्री लक्ष्मी नारायण व्रत किया जाता है,पुरुषोत्तम की पू्र्णिमा के दिन पवित्र नदी या कुंड में अथवा इनके जल से स्नान और दान-पुण्य का महत्व है,कहते हैं इस दिन व्रत रखने वाले को श्री लक्ष्मीनारायण व्रत कथा अवश्य सुननी चाहिए…!

वर्ष 2023 में पुरुषोत्तम मास श्रावण मास के समय अधिक मास पडने के कारण दो बार आश्विन पूर्णिमा होगी.अधिक मास के समय पड़ने वाली पूर्णिमा के समय श्री विष्णु का पूजन का विधान बताया गया है.इसका मुख्य कारण यह है की यह अधिक मास का समय भगवान श्री विष्णु के द्वारा ही संचालित होता है.इसलिए इस समय के दौरान श्री विष्णु पूजन को ही विशेष महत्व दिया गया है…!

-:”पुरुषोत्तम/अधिक मास श्रावण पूर्णिमा मुहूर्त”:-
मंगलवार 01 अगस्त 2023 के दिन पुरुषोत्तम/अधिक मास श्रावण पूर्णिमा का व्रत-स्नान,पूजन-पाठ,दान-पुण्य किया जाएगा,पूर्णिमा तिथि 01 अगस्त की रात्रि 03:52 से आरम्भ होकर मध्यरात्रि 24:02 बजे समाप्त होगी..!

पुरुषोत्तम मास की पूर्णिमा का विशेष महत्व इसलिए है कि यह मास भगवान विष्णु को समर्पित है, मलमास में भगवान विष्णु की पूजा करना मंगलकारी होता है और पूर्णिमा के दिन उनके ही श्रीसत्यनारायण अवतार की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है,अधिक मास की पूर्णिमा के दिन स्नान,दान और पूजा का कई गुना लाभ प्राप्त होता है,आप व्रत नहीं रह सकते हैं तो अपने घर श्रीसत्यनारायण की कथा भी सुन सकते हैं, जिसका आपको अनन्य लाभ प्राप्त होगा.!

-:”पुरुषोत्तम/अधिक मास पूर्णिमा व्रत पूजा विधि”:-
-: पुरुषोत्तम/अधिक मास पूर्णिमा व्रत करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय होने से पहले उठकर तारों की छांव में किसी पवित्र नदी पर जाकर स्नान अवश्य करना चाहिए.यदि वह व्यक्ति किसी त्रिवेणी में जाकर अथवा त्रिवेणी के जल स्नान करता है तो उसके लिए काफी शुभ होगा.!
-: इसके बाद बिना सीले वस्त्र ही धारण करें.फिर वस्त्र धारण करने के बाद एक चौकी को अच्छी तरह से गंगाजल से धो लें और इसके बाद उस पर पीला वस्त्र बिछाएं. फिर कलश स्थापित करें और भगवान गणेश और सत्यनारायण भगवान की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें.!
-: मूर्ति स्थापित करने के बाद चौकी के दोनों ओर केले के पत्तों से लगाएं और नवग्रहों की स्थापना करें.!
-: इसके बाद भगवान सत्यनारायण को पंचामृत से स्नान कराएं और सबसे पहले गणेश जी का पूजन करें…!
-:भगवान गणेश के पूजन के बाद सत्यानारायण जी को पीले फूलों का हार पहनाएं और उन्हें पांच फल,पांच मेवा,नैवेद्य,पीला वस्त्र और तुलसी दल विशेष रूप से अर्पित करें.!
-: इसके बाद घी का दीपक जलाएं और उनकी पूरे विधि विधान से पूजा करें साथ ही उनकी कथा पढ़ें या सुनें.!
-:कथा के बाद भगवान सत्यनारायण की घी के दीपक से आरती उतारे और उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं.!
-:इसके बाद हवन करें.हवन करने के दौरान चावल,गूगल और हवन सामग्री अवश्य ही अर्पित करें और लगातार गायत्री मंत्र का जाप करते रहें.!
-: जब आप का हवन भी संपन्न हो जाए तो आपको 11 ब्राह्मणों को बुलाकर भोजन कराना चाहिए और उन्हें पांच वस्त्र,तिल,काला कंबल,स्वर्ण आदि दक्षिणा सहित देने चाहिए.यदि आप ग्यारह ब्राह्मणों को भोजन नहीं करा सकते तो आप एक ब्राह्मण को बुलाकर भी उसे भोजन कराकर दक्षिणा दे सकते हैं.!
-: इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराने के बाद गाय को भोजन अवश्य कराएं क्योंकि गाय को भोजन कराए। इस प्रकार उद्यापन करने के बाद रात को हरि कीर्तन अवश्य करें.!

-:’पुरुषोत्तम/अधिकमास पूर्णिमा महत्व’:-
पुरुषोत्तम/अधिकमास की पूर्णिमा 3 साल में एक बार आती है,तथा श्रावण मास में यह शुभ संयोग 19 वर्ष के पश्चात् प्राप्त हुवा हैं,इस दिन गंगा स्नान करने से अमृत की प्राप्ति होती है.ग्रह जनित दोष से मुक्ति पाने के लिए अधिकमास की पूर्णिमा पर अन्न, धन, वस्त्र, छाता, चप्पल, चावल का दान करना श्रेष्ठ माना जाता है.अधिकमास की पूर्णिमा पर सत्यनारायण की कथा करने वालों के घर में खुशियों का आगमन होता है. परिवार के हर सदस्य की तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II

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