Adhik Maas Amavasya 2023: पुरुषोत्तम/अधिक मास अमावस्या

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

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शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

नमो नारायण…..एक मास में दो अमावस्या का योग बन रहा है वर्ष 2023 में. दो अमावस्या का योग श्रावण मास पर बनने के कारण यह समय श्राद्ध और तर्पण कार्यों के लिए अत्यंत ही विचारणीय हो जाता है.!

दर्शद्व यमतिक्रम्य यदा संक्रमते रवि:।
अधिमास: स विज्ञेय: सर्वकर्मसु गर्हित: ।।
अर्थात : – दो अमावस्याओं के भीतर सूर्य की संक्रान्ति न होने से उस मास को अधिक मास कहा जाता है. इस अधिक मास में शुभ मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.!

-:”पुरुषोत्तम/अधिक मास अमावस्या मुहूर्त”:-
पुरुषोत्तम/अधिक श्रावण मास अमावस्या तिथि आरम्भ – मंगलवार 15 अगस्त 2023,को अपराह्न 12:43, बजे होगा तथा अमावस्या तिथि की समाप्ति 16 अगस्त 2023,को अपराह्न 15:08 बजे होगा.!

-:”पुरुषोत्तम/अधिक मास अमावस्या और पितृ पूजन”:-
अधिक मास में आने वाली अमावस्या का समय श्री विष्णु पूजन एवं भगवान शिव के पूज का होता है. इस अमावस्या का श्रावण मास के साथ संबंध होने के कारण श्राद्ध पक्ष के साथ इस तिथि का संबंध जुड़ने से यह इस बार के पितर पक्ष में बहुत प्रभशालि दिन होने वाला है.!

पुरुषोत्तम/अधिक मास अमावस्या के दिन पितरों को जल और तिल का तर्पण करने से उन्हें शांति मिलती है. अधिक माह अमावस्या के दिन श्राद्ध कार्यों का वह पड़ाव होता है जब सभी पितरों के लिए ये तिथि सर्वमान्य होती है.अधिक मास की अमावस्या के समय पर सर्व पितृ अमावस्या,पितृ विसर्जनी के कार्यों को संपन्न किया जाता है. पितृ लोक से आए हुए पितर संतुष्ट होकर अपने लोक लौटते हैं.!

-:”पुरुषोत्तम/अधिक अमावस्या और तीन वर्ष”:-
अधिकमास की अमावस्या को तीन वर्ष पश्चात आती है तथा श्रावण मास में यह संजोग 19 वर्ष के बाद बना हैं,इस कारण से इसके महत्व की वृद्धि खुद ब खुद ही स्पष्ट होती है.इस अमावस्या को पुरुषोत्तम अमवस्या के नाम से भी पुकारा जाता है.इस अमावस्या के साथ ही अधिक माह की समाप्ति हो जाती है.अमावस्या को पितृपक्ष की महत्वपूर्ण तिथि का समय माना गया है.!

इस कारण् से अधिकमास की अमावस्या के दिन किए गए उपाय विशेष फलदायी होते हैं.रोग,कष्ट आदि से परेशान होने पर इस दिन हब्य एवं कब्य अनुष्ठान करने से रोगों का नाश होता है.इस अधिक अमावस्य अपर किर जाने वाले उपायों द्वारा व्यक्ति कष्टों से निजात प्राप्त कर सकता है.!

आईये जानते हैं की कौन से उपाय ओर सावधानियां अधिक अमावस्या में करने से लाभ ओर सुख की प्राप्ति संभव हो सकती है.अधिक अमावस्या पर ध्यान देने योग्य बात यह है कि अमावस्या के दिन कुछ कार्यों को करने से बचना चाहिए.जैसे की अमावस्या तिथि के दिन बाल को नहीं धोना चाहिए.बाल धोना अत्यंत ही खराब माना गया है.!
-: अधिक अमावस्या को रात्रि समय पर ऎसे स्थानों पर जाने से बचना चाहिए,जहां सुनसान स्थान हो या फिर जिस स्थान पर नकारात्मक उर्जा अधिक अनुभव होती हो.इन स्थानों पर जाने से इस लिए मना किया जाता है.क्योंकि इस समय पर हमारी ऊर्जा का स्त्रोत बहुत अधिक होता है.इस कारण से नकारात्मक चीजों से हम सभी जल्द ही प्रभावित होते हैं.!
-:अमावस्या की रात्रि का समय तंत्र शास्त्र के लिए अत्यंत ही प्रभावशाली माना गया है.इस समय पर उग्र देवता उपासना का भी बहुत महत्व रहा है.नकारात्मक शक्तियां इस समय पर अधिक सक्रिय होती हैं.इसलिए इस समय पर किसी सुनसान वृक्ष के नीचे खड़ा होना,या किसी प्रकार की ऎसी गतिविधियों से बचना चाहिए जो शुद्धता और सात्विकता से रहित होती है.!
-: अधिक मास की अमावस्या में से कोई भी उपाय अच्छे मन एवं सात्विक भावना से किया जाए तो वह मनोकामना को पूर्ण करने में सहायक बनता है…!
-: अधिक अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष एवं बड़ के वृक्ष का पूजन किया जाना उत्तम होता है.पीपल के वृक्ष के पर कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए.प्रात:काल समय और संध्या समय पर पीपल के वृक्ष का पूजन करना चाहिए.पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपक अवश्य जलाना चाहिए.अपने पूर्वजों को याद करते हुए नमस्कार करना चाहिए.!
-: अधिक मास अमावस्या के दिन प्रात:काल जल्दी उठना अत्यंत शुभ होता है.इस दिन पर प्रात:काल ब्रह्म मुहूर्त समय उठ कर श्री नारायण का स्मरण करना चाहिए.सुबह समय स्नान करने बाद सूर्य को जल अवश्य चढ़ाना चाहिए.भगवान श्री विष्णु की पूजा करनी चाहिए. अधिक मास की अमावस्या पर किसी पवित्र नदी या धर्म स्थल पर जाकर स्नान करन अत्यंत ही शुभदायक होता है.!
-: इस दिन जल में काले तिल डालकर तर्पण करन अत्यंत शुभ होता है.तिल का दान करने से पितृगण प्रसन्न होते हैं.अधिक मास की अमावस्या तिथि पर गाय के शुद्ध घी का दीपक जला कर पितरों को याद किया जाता है.!
-: किसी भी तरह के वाद-विवाद से बचने की कोशिश करनी चाहिए.अमावस्या के दिन लड़ाई झगड़ा ना करना ही बेहतर होता है. ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के समय पर पितृ पृथ्वी पर विचरण करते हैं.ऎसे में पितृ हमारे नज़दीक होते हैं. इस लिए ये समय ही होता है पितृरों से आशीर्वाद और सुख की प्राप्ति पाने का.इसलिए इस तिथि के समय पर यदि घर पर सुख शांति व्याप्त रहे तो पूर्वजों को भी शांति की प्राप्ति मिलती है और वह हमें सदैव अपना आशीष प्रदान करते हैं.!

-:”पुरुषोत्तम/अधिक मास अमावस्या और पितृ दोष मुक्ति”:-
पुरुषोत्तम/अधिक मास की अमावस्या के दिन मिलता है पितृ दोष से मुक्ति पाने का एक विशेष अवसर.इस दिन किया जाने वाला दान और पुण्य कई गुना वृद्धि को पाता है.आश्विन मास में आने वाली अधिक मास अमावस्या के दिन से समाप्त होने के साथ ही श्राद्ध कार्य का काम बहुत शुभ माना गया है.अमावस्या तिथि का समय दुर्गा साधना करने वालों के लिए भी महत्व रखता है.गरुण पुराण एवं भविष्यपुराण में अंतर्गत श्राद्धों के बारे में पता चलता है.इस तिथि की महत्ता का पौराणिक ग्रंथ आधार बनते हैं…!

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