ॐ घृणि सूर्याय नमः….
…Bhadrapada Sankranti 2024: भाद्रपद माह में सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश करना भाद्रपद संक्रान्ति कहलाता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह की संक्रान्ति के समय भगवान सूर्य का पूजन और भगवान श्री कृष्ण का पूजन विशेष रुप से होता है. संक्रान्ति समय संधि काल का समय होता है, ऎसे में ये समय मौसम और प्रकृति के बदलाव को भी दिखाता है और इसका असर हर ओर दिखाई देता है. इस लिए इस समय के दौरान ऋषि-मुनियों ने कुछ समय को निश्चित किया जिस समय पर विशेष अनुष्ठान इत्यादि करना समस्त सृष्टि के कल्याण को दर्शाता है…..! भाद्रपद संक्रान्ति 16 अगस्त 2024 शुक्रवार है!
संक्रांति सूर्यास्त के जितने समय पहले हो उतना ही पहले तक का समय संक्रान्ति पुण्यकाल होता है. जिस संक्रांति का पुण्यकाल पहले हो अर्थात वह अगर सूर्योदय के समय हो तो उतनी घड़ी पुण्यकाल बाद में होता है. रात्रिकाल में संक्रांति होने पर रात्रि जनित पुण्य का निषेध कहा गया है. अगर आधी रात से पहले संक्रांति हो तो पहले रोज के दो प्रहर में पुण्यकाल होता है. अगर आधी रात्रि के मध्य में संक्रांति हो तो बाद वाले दिन के पहले दो प्रहर में पुण्य काल होता है….!
-:”Bhadrapada Sankranti 2024: सिंह संक्रांति/सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश”:-
भाद्रपद संक्रान्ति को सिंह संक्रान्ति के नाम से भी पुकारा जाता है. सूर्य इस समय के दौरान कर्क राशि से निकल कर सिंह राशि में प्रवेश करते हैं. सूर्य का सिंह राशि में प्रवेश अनुकूल माना गया है ज्योतिष की दृष्टि से यहां सूर्य की अनुकूल स्थिति होती है क्योंकि सूर्य सिंह राशि के स्वामी होते हैं. इस लिए सिंह राशि में होना उनका अपने घर में होने जैसा ही है…!
सिंह राशि सूर्य की मूलत्रिकोण राशि होती है इस कारण वह इस राशि में बहुत बलशाली और मजबूत होता है. आप दूसरों से सच्चा प्रेम व अनुराग रखने वाले व्यक्ति होगें. आपको एक बार जिससे अनुराग हो गया तब आप उसे बहुत अच्छे से निभाते भी हैं. सिंह राशि अग्नितत्व होती है इसलिए इस संक्रान्ति समय सूर्य का प्रभाव ओर अधिक रुप में मिलता है….!
-:”Bhadrapada Sankranti 2024: भाद्रपद संक्रान्ति”:-
भाद्रपद संक्रांति, के दिन गंगा स्नान को महापुण्यदायक माना गया है. इसी के साथ गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों एवं धर्म स्थलों पर जाकर स्नान व पूजन कार्य होते हैं. मान्यता है किस संक्रान्ति के दिन पवित्र नदियों में स्नान करने पर व्यक्ति को ब्रह्मलोक की प्राप्ति होती है. संक्रान्ति समय स्नान से बीमारी दूर होती है और धन धान्य की प्राप्ति होती है. स्नान करने के पश्चात सूर्य देव को को जल अर्पित करना चाहिए…!
जल अर्पित करने के लिए तांबे के पात्र का उपयोग अच्छा माना गया है. परंतु यदि तांबे का पात्र नहीं हो तो अन्य किसी साफ स्वच्छ लोटे में जल भर लेना चाहिए. जल में चावल, कुमकुम, लाल रंग के पूल डालकर सूर्य को अर्घ्य चढ़ाना चाहिए. जल चढ़ाते समय सूर्य मंत्र स्तुति करनी चाहिए…!
देवी पुराण व मत्स्यपुराण के अनुसार में संक्रांति के दिन स्नान के साथ साथ व्रत का पालन भी उत्तम होता है. जो भी व्यक्ति भाद्रपद संक्रांति समय व्रत धारण करते हैं उन्हें श्री नारायण एवं सूर्य देव का पूजन एवं नाम स्मरण करना चाहिए. व्रत रखने पर सिर्फ एक बार भोजन करने का विधान बताया गया है. इस दिन दान करने को भी अत्यंत शुभ माना गया है. स्नान के बाद ब्राह्मण अथवा गरीबों को अनाज, फल इत्यादि का दान करना चाहिए….!
संक्रांति के दिन तिल, गुड़ एवं कच्चे चावल बहते हुए जल में प्रवाहित करना शुभ माना गया है. इस दिन खिचड़ी, गुड़ और दूध को भगवान सुर्य देव को अर्पित करने से सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न होते हैं. संक्रांति के दिन पितरों के लिए तर्पण करने का विधान भी रहा है. इस दिन भगवान सूर्य को जल देने के पश्चात अपने पितरों का स्मरण करते हुए तिलयुक्त जल देने से पितर प्रसन्न होते हैं….!
-:”Bhadrapada Sankranti 2024: भाद्रपद संक्रान्ति महत्व”:-
-:भाद्रपद संक्रान्ति में श्री कृष्ण को पंचामृत से स्नान कराना चाहिए.
-:इस संक्रान्ति समय श्रीमदभगवदगीता का पाठ करना चाहिए.
-:सूर्य का लाल पुष्पों से पूजा करनी चाहिए.
-:लड्डू गोपाल और शंख की स्थापना करना एवं इनका दान किसी योग्य ब्राह्मण को करना उत्तम होता है.
-:भाद्रपद संक्रान्ति ने में पूजा के दौरान तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाएं और दीपक जलाना चाहिए.
-:”भाद्रपद संक्रान्ति क्या होती है”:-
संक्रांति का मतलब होता है सूर्य देव का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना. सूर्य ग्रह संचरण के इस समय को ही संक्रान्ति कहा जाता है. संक्रान्ति का सुर्य का राशि में प्रवेश-समय अत्य्म्त महत्वपूर्ण घटना होती है. सूर्य देव का प्रवेश जिस भी राशि में होता है उसे उसी राशि वाली संक्रांति का नाम दिया जाता है…!
जिस प्रकार ज्येष्ठ मास में सूर्य वृष राशि से मिथुन राशि में प्रवेश कर रहे हैं तो यह संक्रांति मिथुन संक्रांति के नाम से प्रसिद्ध है. इस प्रकार कर्क राशि से सिंह राशि में सूर्य का जाना भाद्रपद संक्रान्ति कहलाता है. इस संक्रमण समय पर जप-तप और हवन इत्यादि अनुष्ठानों का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है….!
-:”Bhadrapada Sankranti 2024: भाद्रपद संक्रान्ति का महत्व”:-
सूर्य संक्रांति का सम्बन्ध कृषि, प्रकृति और ऋतु परिवर्तन से रहा है. पूरे वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां आती हैं. इन बारह संक्रान्ति में से एक भाद्रपद संक्रान्ति है. सूर्य संक्रांति के दिन सूर्य पूजा करना अत्यंत ही आवश्यक होता है. वैदिक शास्त्रों में सूर्य देवता को आत्मा माना गया है. ऎसे में जब सूर्य पूरे वर्ष में जिस भी माह में रहता है और उसी रुप में उसका प्रभाव पृथ्वी पर पड़ता है. ऋतु परिवर्तन और जलवायु में जो भी बदलाव होते हैं उनमें से कुछ का असर सूर्य के द्वारा भी पड़ता है….!
भाद्रपद संक्रांति के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद भिन्न-भिन्न प्रकार के उत्तम भोज्य पदार्थ बना कर उनका सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. संक्राति एक महत्वपूर्ण दिन होता है, इस दिन की भी बहुत मान्यता है. पर इसी के साथ संक्रान्ति के समय कुछ चीजों का निषेध भी माना गया है क्योंकि यह संक्रमण का समय होता है. इस कारण से कुछ विशेष मुहूर्तों में इसे उपयोग नहीं किया जाता है. इसीलिए इस दिन कुछ चीजों को ध्यान में रखते हुए पूजा-पाठ आदि करने को कहा जाता है….!