Gauri Tritiya Vrat 2024: गौरी तृतीया व्रत

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print

जय नारायण…..शक्तिरूपा पार्वती की कृपा प्राप्त करने हेतु सौभाग्य वृद्धिदायक गौरी तृतीया व्रत करने का विचार शास्त्रों में बताया गया है. इस वर्ष यह व्रत 12 फरवरी, 2024 को किया जाना है. माघ मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन इस व्रत को किया जाता है. शुक्ल तृतीया को किया जाने वाला यह व्रत शिव एवं देवी पार्वती की असीम कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है.!

विभिन्न कष्टों से मुक्ति एवं जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए इस व्रत की महिमा का बखान पूर्ण रुप से प्राप्त होता है. इस व्रत का उद्धापन कर देना चाहिए. देवी गौरी सभी की मनोकामना पूर्ण करें.!

-:’गौरी तृतीया कथा’:-
गौरी तृतीया शास्त्रों के कथन अनुसार इस व्रत और उपवास के नियमों को अपनाने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है स्त्रियों को दांपत्य सुख व संतान सुख की प्राप्ती कराता है. प्राप्त होता है. गौरी तृतीया व्रत की महिमा के संबंध में पुराणों में उल्लेख प्राप्त होता है जिसके द्वारा यह स्पष्ट होता है कि दक्ष को पुत्री रुप में सती की प्राप्ति होती है. सती माता ने भगवान शिव को पाने हेतु जो तप और जप किया उसका फल उन्हें प्राप्त हुआ.!
माता सती के अनेकों नाम हैं जिसमें से गौरी भी उन्हीं का एक नाम है. शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि को भगवान शंकर के साथ देवी सती विवाह हुआ था अतः माघ शुक्ल तृतीया के दिन उत्तम सौभाग्य की कृपा प्राप्त करने के लिए यह व्रत किया जाता है. यह व्रत सभी मनोरथों को पूर्ण करने वाला है.!

-:’गौरी तृतीया पूजा विधि’:-
इस दिन प्रातःकाल स्नान आदि कर देवी सती के साथ-साथ भगवान शंकर का पूजन करना चाहिए. पंचगव्य तथा चंदन निर्मित जल से देवी सती और भगवान शिव की प्रतिमा को स्नान कराना चाहिए. धूप, दीप, नैवेद्य तथा नाना प्रकार के फल अर्पित कर पूजा करनी चाहिए. इस दिन इन व्रत का संकल्प सहित प्रारम्भ करना चाहिए.!

पूजन में श्री गणेश पर जल, रोली, मौली, चन्दन, सिन्दूर, लौंग, पान, चावल, सुपारी, फूल, इलायची, बेलपत्र, फल, मेवा और दक्षिणा चढाते हैं. गौरी की प्रतिमा को जल, दूध, दही से स्नान करा, वस्त्र आदि पहनाकर रोली, चन्दन, सिन्दुर, मेंहन्दी लगाते है. श्रंगार की वस्तुओं से माता को सजाया जाता हैं. शिव-पार्वती की मूर्तियों का विधिवत पूजन करके गौरी तृतीया कि कथा सुनी जाती है तथा गौरी माता को सुहाग की सामग्री अर्पण कि जाती है.!

पार्वती का पूजन एवं व्रत रखने से सुखों में वृद्धि होती है. विधिपूर्वक अनुष्ठान करके भक्ति के साथ पूजन करके व्रत की समाप्ति के समय दान करें. इस व्रत का जो स्त्री इस प्रकार उत्तम व्रत का अनुष्ठान करती है, उसकी कामनाएं पूर्ण होती हैं. निष्काम भाव से इस व्रत को करने से नित्यपद की प्राप्ति होती है.!

-:’गौरी तृतीया व्रत फल’:-
यह व्रत स्त्रियों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है. पावन तिथि स्त्रियों के लिए सौभाग्यदायिनी मानी जाती है. सुहागिन स्त्रियां पति की दीर्घायु और अखण्ड सौभाग्य की कामना के लिए इस दिन आस्था के साथ व्रत करती हैं. अविवाहित कन्याएं भी मनोवांछित वर की प्राप्ति हेतु इस व्रत को करती देखी जा सकती हैं.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook पर प्राप्त कर सकते हैं.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print
नये लेख