Indira Ekadashi 2024: नमो नारायण/ॐ पितृभ्य नमः ………धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे भगवान..!आश्विन कृष्ण एकादशी का क्या नाम है…? इसकी विधि तथा फल क्या है..? सो कृपा करके कहिए,भगवान श्रीकृष्ण कहने लगे कि इस एकादशी का नाम इंदिरा एकादशी है.यह एकादशी पापों को नष्ट करने वाली तथा पितरों को अधोगति से मुक्ति देने वाली होती है। हे राजन! ध्यानपूर्वक इसकी कथा सुनो। इसके सुनने मात्र से ही वायपेय यज्ञ का फल मिलता है…!
सनातन हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार,आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को इंदिरा एकादशी कहते हैं,इस दिन भगवान शालिग्राम की पूजा की जाती है व उनके निमित्त व्रत किया जाता है,इस व्रत को करने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है और वैकुंठ को प्राप्त होता है व उसके पितरों को भी स्वर्ग में स्थान मिलता है, इस वर्ष इन्दिरा एकादशी शनिवार 28 सितम्बर के दिन है….!
-:Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी-व्रत विधि:-
एकादशी तिथि से एक दिन पहले यानी दशमी तिथि को सुबह स्नान आदि करने के बाद दोपहर के समय दोबारा किसी नदी या तालाब में जाकर स्नान करें.फिर श्रद्धापूर्वक पितरों का श्राद्ध करें और एक बार भोजन करें.एकादशी तिथि की सुबह दातून आदि करके स्नान करें,इसके बाद संकल्प करें कि- मैं आज संपूर्ण भोगों को त्याग कर निराहार (बिना कुछ खाए-पिए) एकादशी का व्रत करूंगा या करूंगी,मैं आपकी शरण में हूं,आप मेरी रक्षा कीजिए….!
इस प्रकार संकल्प लेने के बाद भगवान शालिग्राम की मूर्ति के आगे विधिपूर्वक श्राद्ध करके योग्य ब्राह्मणों को फलाहार कराएं और दक्षिणा दें.पितरों के श्राद्ध से जो बच जाए, उसे गाय को दें तथा ध़ूप, दीप, गंध, पुष्प, नैवेद्य आदि सब सामग्री से शालिग्राम भगवान की पूजा करें.रात में भगवान की प्रतिमा के निकट जागरण करें.इसके बाद द्वादशी तिथि 29 सितम्बर, को सुबह होने पर भगवान का पूजन करके ब्राह्मणों को भोजन कराएं.भाई-बंधुओं, स्त्री और पुत्र सहित मौन होकर भोजन करें. इस प्रकार व्रत करने से पितरों को स्वर्ग में स्थान मिलता है….!
सनातन हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार यह व्रत करने से मनुष्य सब पापों से छूट जाता है और वैकुंठ को प्राप्त होता है व उसके पितरों को भी स्वर्ग में स्थान मिलता है….!
-:Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत कथा :-
सतयुग के समय महिष्मति नाम की नगरी में इंद्रसेन नाम का एक प्रतापी राजा धर्मपूर्वक अपनी प्रजा का पालन करते हुए रहता था,वह राजा पुत्र,पौत्र और धन आदि से संपन्न और भगवान विष्णु का परम भक्त था,एक दिन जब राजा सुखपूर्वक अपनी सभा में बैठा था तो आकाश मार्ग से महर्षि नारद उतरकर उसकी सभा में आए,राजा उन्हें देखते ही हाथ जोड़कर खड़ा हो गया और उनका पूजन किया…!
उन्होंने देवर्षि नारद से उनके आने का कारण पूछा.तब नारद मुनि ने कहा कि- हे राजन..!
आप आश्चर्य देने वाले मेरे वचनों को सुनो,मैं एक समय ब्रह्मलोक से यमलोक को गया, वहां श्रद्धापूर्वक यमराज से पूजित होकर मैंने धर्मशील और सत्यवान धर्मराज की प्रशंसा की.उसी यमराज की सभा में महान ज्ञानी और धर्मात्मा तुम्हारे पिता को एकादशी का व्रत भंग होने के कारण देखा.उन्होंने संदेशा दिया वह मैं तुम्हें कहता हूँ,उन्होंने कहा कि पूर्व जन्म में कोई विघ्न हो जाने के कारण मैं यमराज के निकट रह रहा हूं…..!
इसलिए हे पुत्र यदि तुम आश्विन कृष्ण इंदिरा एकादशी का व्रत मेरे निमित्त करो तो मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है,नारदजी की बात सुनकर राजा ने अपने बांधवों तथा दासों सहित व्रत किया, जिसके पुण्य प्रभाव से राजा के पिता गरुड़ पर चढ़कर विष्णुलोक को गए,राजा इंद्रसेन भी एकादशी के व्रत के प्रभाव से निष्कंटक राज्य करके अंत में अपने पुत्र को सिंहासन पर बैठाकर स्वर्गलोक को गये…I
-:Indira Ekadashi 2024: इंदिरा एकादशी व्रत का महत्व:-
नारदजी के कथनानुसार राजा द्वारा अपने बाँधवों तथा दासों सहित व्रत करने से आकाश से पुष्पवर्षा हुई और उस राजा का पिता गरुड़ पर चढ़कर विष्णुलोक को गया.राजा इंद्रसेन भी एकादशी के व्रत के प्रभाव से निष्कंटक राज्य करके अंत में अपने पुत्र को सिंहासन पर बैठाकर स्वर्गलोक को गया…..!