Mahalakshmi Vrat 2024: श्रीमन्न महागणाधिपतये नमः…श्री महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ भाद्रपद की शुक्ल अष्टमी के दिन से किया जाता है,यह व्रत सोलह दिनों तक चलता है,इस वर्ष 2024 में 07 सितंबर को यह व्रत आरम्भ होंगे.एवं भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि शनिवार 25.सितम्बर को सम्पूर्ण हुंगे.यह व्रत राधा अष्टमी के दिन से प्रारम्भ किये जाते है.इस व्रत में लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है….!
-:Mahalakshmi Vrat 2024: श्री महालक्ष्मी व्रत पूजन:-
सबसे पहले प्रात:काल में स्नान आदि कार्यो से निवृत होकर,व्रत का संकल्प लिया जाता है.व्रत का संकल्प लेते समय निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है…!
करिष्यsहं महालक्ष्मि व्रतमें त्वत्परायणा ।
तदविध्नेन में यातु समप्तिं स्वत्प्रसादत: ।।
हाथ की कलाई में बना हुआ डोरा बांधा जाता है,जिसमें 16 गांठे लगी होनी चाहिए.पूजन सामग्री में चन्दन,ताल,पत्र,पुष्प माला,अक्षत,दूर्वा,लाल सूत,सुपारी,नारियल तथा नाना प्रकार के भोग रखे जाते है. नये सूत 16-16 की संख्या में 16 बार रखा जाता है.इसके बाद निम्न मंत्र का उच्चारण किया जाता है…!
व्रत पूरा हो जाने पर वस्त्र से एक मंडप बनाया जाता है.उसमें लक्ष्मी जी की प्रतिमा रखी जाती है.श्री लक्ष्मी को पंचामृत से स्नान कराया जाता है और फिर उसका सोलह प्रकार से पूजन किया जाता है. इसके पश्चात ब्रह्माणों को भोजन कराया जाता है और दान- दक्षिणा दी जाती है….!
इसके बाद चार ब्राह्माण और 16 ब्राह्माणियों को भोजन करना चाहिए. इस प्रकार यह व्रत पूरा होता है. इस प्रकार जो इस व्रत को करता है उसे अष्ट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है. सोलहवें दिन इस व्रत का उद्धयापन किया जाता है.जो व्यक्ति किसी कारण से इस व्रत को 16 दिनों तक न कर पायें,वह तीन दिन तक भी इस व्रत को कर सकता है.व्रत के तीन दोनों में प्रथम दिन,व्रत का आंठवा दिन एवं व्रत के सोलहवें दिन का प्रयोग किया जा सकता है.इस व्रत को लगातार सोलह वर्षों तक करने से विशेष शुभ फल प्राप्त होते हैं. इस व्रत में अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए.केवल फल,दूध,मिठाई का सेवन किया जा सकता है….!
-:Mahalakshmi Vrat 2024: महालक्ष्मी व्रत कथा:-
प्राचीन समय की बात है, कि एक बार एक गांव में एक गरीब ब्राह्माण रहता था.वह ब्राह्माण नियमित रुप से श्री विष्णु का पूजन किया करता था.उसकी पूजा-भक्ति से प्रसन्न होकर उसे भगवान श्री विष्णु ने दर्शन दिये़.और ब्राह्माण से अपनी मनोकामना मांगने के लिये कहा, ब्राह्माण ने लक्ष्मी जी का निवास अपने घर में होने की इच्छा जाहिर की.यह सुनकर श्री विष्णु जी ने लक्ष्मी जी की प्राप्ति का मार्ग ब्राह्माण को बता दिया,मंदिर के सामने एक स्त्री आती है,जो यहां आकर उपले थापती है, तुम उसे अपने घर आने का आमंत्रण देना. वह स्त्री ही देवी लक्ष्मी है….!
देवी लक्ष्मी जी के तुम्हारे घर आने के बार तुम्हारा घर धन और धान्य से भर जायेगा. यह कहकर श्री विष्णु जी चले गये.अगले दिन वह सुबह चार बचए ही वह मंदिर के सामने बैठ गया.लक्ष्मी जी उपले थापने के लिये आईं,तो ब्राह्माण ने उनसे अपने घर आने का निवेदन किया.ब्राह्माण की बात सुनकर लक्ष्मी जी समझ गई, कि यह सब विष्णु जी के कहने से हुआ है. लक्ष्मी जी ने ब्राह्माण से कहा की तुम महालक्ष्मी व्रत करो,16 दिनों तक व्रत करने और सोलहवें दिन रात्रि को चन्द्रमा को अर्ध्य देने से तुम्हारा मनोरथ पूरा होगा….!
ब्राह्माण ने देवी के कहे अनुसार व्रत और पूजन किया और देवी को उत्तर दिशा की ओर मुंह करके पुकारा, लक्ष्मी जी ने अपना वचन पूरा किया. उस दिन से यह व्रत इस दिन, उपरोक्त विधि से पूरी श्रद्वा से किया जाता है….!