Masik Shivratri 2023: मासिक शिवरात्रि तिथीयाँ

'ज्योतिर्विद डी डी शास्त्री'

Masik Shivratri 2023: मासिक शिवरात्रि तिथीयाँ
Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print

औ३म मृत्युंजय महादेव त्राहिमाम शरणागतम.
जन्म मृत्यु जराव्याघि पीड़ित कर्म बन्धनात.II

Masik Shivratri 2023: ॐ नमः शिवाय…सनातन धर्म में शिवरात्रि का विशेष महत्व है.प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है,शिवरात्रि भगवान भोले नाथ को समर्पित है.एक साल में 12 मास होते है और 12 मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है.अपितु अधिक मास के कारण यादाकद 13 मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाती हैं.

मासिक शिवरात्रि भोलेनाथ और माता पार्वती को समर्पित है, शिवरात्रि पर भोलेनाथ की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. साथ ही मन चाहे फल की प्राप्ति होती है.!

मासिक शिवरात्रि पर रात्रि में पूजा करने का विशेष महत्व होता है,इस साल की पहली मासिकत्रि 20 जनवरी 2023 शुक्रवार को पड़ रही है.मासिक शिवरात्रि का शुभ मुहूर्त 20 जनवरी को रात 11.53 बजे शुरू हो कर 21 जनवरी को 12.47 तक रहेगा .माना जाता है की इस दिन पूरे श्रद्धा भाव से व्रत रखने वालों को भोले नाथ अनंत फल देते है. तो आप भी पूरे श्रद्धा भाव के साथ इस व्रत का पालन करें.!

-:’Masik Shivratri 2023: मासिक शिवरात्रि की तिथियां Mashik Shivratri 2023 List

20 जनवरी 2023, शुक्रवार – माघ मासिक शिवरात्रि
18 फरवरी 2023, शनिवार – महाशिवरात्रि, फाल्गुन शिवरात्रि
20 मार्च 2023, सोमवार – चैत्र मासिक शिवरात्रि
18 अप्रैल 2023, मंगलवार – वैशाख मासिक शिवरात्रि
17 मई 2023, बुधवार – ज्येष्ठ मासिक शिवरात्रि
16 जून 2023, शुक्रवार – आषाढ़ मासिक शिवरात्रि
15 जुलाई 2023, शनिवार – सावन मासिक शिवरात्रि
14 अगस्त 2023, सोमवार – अधिक माह, मासिक शिवरात्र
13 सितंबर 2023, बुधवार – भाद्रपद मासिक शिवरात्रि
12 अक्टूबर 2023, गुरुवार – अश्विन मासिक शिवरात्रि
11 नवंबर 2023, शनिवार – कार्तिक मासिक शिवरात्रि
11 दिसंबर 2023, सोमवार – मार्गशीर्ष मासिक शिवरात्रि

-:’Masik Shivratri 2023: लिंगाष्ठकम स्तोत्र’:-

ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं निर्मलभासित शोभित लिंगम् |
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 1 ||
अर्थ :- जो ब्रम्हा विष्णु और सभी देवगणों के इष्टदेव है, जो परम पवित्र, निर्मल, तथा सभी जीवो की मनोकामना को पूर्ण करने वाले है, और जो लिंग के रूप में बराबर जगत में स्थापित हुए है, जो संसार के संहारक है और जन्म और मृत्यु के दुखो का विनाश करते है, ऐसे भगवान सदा शिव – लिंग को नित्य निरंतर प्रणाम है.!

देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं कामदहन करुणाकर लिंगम् |
रावण दर्प विनाशन लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 2 ||
अर्थ :- सभी देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं भगवान् शिव का स्वरूप है जिसके द्वारा रावण के अभिमान का भी नाश हुआ उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ.।

सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् |
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 3 ||
अर्थ :- जो सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों द्वारा सुलेपित लिंग है जो कि बुद्धि का विकास करने वाला है तथा सिद्ध- सुर (देवताओं) एवं असुरों सभी के लिए वन्दित है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम.।

कनक महामणि भूषित लिंगं फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् |
दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 4 ||
अर्थ :- जो स्वर्ण एवं महामणियों से विभूषित एवं सर्पों के स्वामी से शोभित सदाशिव लिंग तथा जो कि दक्ष के यज्ञ का विनाश करने वाला है।आपको हमारा प्रणाम.।

कुंकुम चंदन लेपित लिंगं पंकज हार सुशोभित लिंगम् |
संचित पाप विनाशन लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 5 ||
अर्थ :- लिंग जो कुंकुम एवं चन्दन से सुशोभित है,कमल हार से सुशोभित है,सदाशिव लिंग जो कि हमें सारे संञ्चित पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम.।

देवगणार्चित सेवित लिंगं भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम् |
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 6 ||
अर्थ :- सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम जो सभी देवों एवं गणों द्वारा शुद्ध विचार एवं भावों के द्वारा पुजित है तथा करोडों सूर्य सामान प्रकाशित हैं.।

अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं सर्वसमुद्भव कारण लिंगम् |
अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 7 ||
अर्थ :- आठों दलों में मान्य तथा आठों प्रकार के दरिद्रता का नाश करने वाले सदाशिव लिंग जो सभी प्रकार के सृजन के परम कारण हैं आप सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम.।

सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम् |
परात्परं परमात्मक लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् || 8 ||
अर्थ :- देवताओं एवं देव गुरू द्वारा स्वर्ग के वाटिका के पुष्पों द्वारा पुजित परमात्मा स्वरूप जो कि सभी व्याख्याओं से परे है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम.।

लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेश्शिव सन्निधौ |
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ||

नोट :- अपनी पत्रिका से सम्वन्धित विस्तृत जानकारी अथवा ज्योतिष, अंकज्योतिष,हस्तरेखा, वास्तु एवं याज्ञिक कर्म हेतु सम्पर्क करें.!

नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook Pages पर प्राप्त कर सकते हैं.II

Share on facebook
Share on twitter
Share on linkedin
Share on whatsapp
Share on email
Share on print
नये लेख