जय माता दी……..दुर्गापूजन का आरंभ कलश स्थापना से शुरू हो जाता है अत: यह नवरात्र घट स्थापना प्रतिपदा तिथि को किया जाता हैं.आश्विन शुक्ल पक्षकी प्रतिपदा तिथि के दिन प्रात: स्नानादि से निवृत हो कर संकल्प {प्रतिज्ञा} लिया जाता है…!
–:घट स्थापना की विधि:–
पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ,गेहूं आदि सप्त धान्य बोएं,उनके ऊपर अपनी इच्छा अनुसार सोने,तांबे अथवा मिट्टी के कलश की स्थापना करें,कलश के ऊपर सोना,चांदी,तांबा,मिट्टी,पत्थर की भगवती मूर्ती या चित्रमयी मूर्ति रखें.मूर्ति यदि कच्ची मिट्टी,कागज या सिंदूर आदि से बनी हो और स्नानादि से उसमें विकृति आने की संभावना हो तो उसके ऊपर शीशा लगा दें….!
मूर्ति न हो तो कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु की पूजा करें,नवरात्र व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका,लोकपाल,नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें…!
अन्त में प्रधान देवता अर्थात भगवती की मूर्ति की पूजा करें,दुर्गादेवी की आराधना-अनुष्ठान में महाकाली,महालक्ष्मी और महासरस्वती का पूजन तथा मार्कण्डेयपुराणान्तर्गत निहित श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए….!
–:पूजन विधि:—
व्रत का संकल्प लेने के पश्चात ब्राह्मण द्वारा या स्वयं ही मिटटी की वेदी बनाकर जौ बोये जाते है,कलश की स्थापना के साथ ही सबसे पहले दीपक,व धूप प्रज्वलित करें..!!
11 बार ओम गण गणपतये नमः का उच्चारण करें..!
कलश में भगवान विष्णु को स्थापित करें और विष्णुब्ये नमः का 11 बार जाप करें.
तत्पश्चात ओम देब्ये नमः का 11 बार उच्चारण करें..!
अपने पितरों {पूर्वज जो शरीर छोड़ चुके हों} को प्रणाम करें..!
सूर्यादि नवग्रह को प्रणाम करें….!
एवं अंत मैं मां भगवती {दुर्गा} का पूजन आरंभ करें..!
सबसे पहले शुद्ध जल से स्नान करायें…!
दूध दही घी शहद शक्कर से और अंत में गंगा जल से तथा इस अवधि में मन ही मन ओउम जगत जननी दुर्गा देब्ये नमः का जाप करते रहें..!
वस्त्र तिलक अक्षत {चावल}श्रींगार आभूषण पुष्प अर्पण करें….!
दीपक और धूप प्रदृशित करें….!
मां को भोग लगाएं पांच फल अर्पण करें,ताम्बूल लौंग इलाइची अर्पण करें…!
श्रद्धा भावना से दक्षिणा अर्पण करें….!
विशेष कामना हेतु नारिकेला {गिरि नारियल }से विशेष अर्घ्य अर्पण करें….!
अन्त में माँ की आरती करें.तत्पश्चात दुर्गा शप्तशती;दुर्गा स्तोत्र;या दुर्गा चालीसा ज्ञान के अनुसार पाठ करें..,नौ दिनों तक चलनेवाला यह पर्व अपने साथ सुख,शांति और समृद्धि प्रदान करने वाला होता है. शक्ति पूजा का यह समय संपूर्ण ब्रह्माण की शक्ति को नमन करने और प्रकृत्ति के निर्विकार रुप से अग्रसर होने का समय होता है….!!!
शारदीय नवरात्र व्रत स्त्री;पुरुष दोनों रख सकते हैं,सर्वप्रथम प्रातः काल स्वयं स्नानादि क्रियाओं से निवृत्त होकर उपरोक्त विधी से पूजन करें.कलश की स्थापना कर नवरात्र व्रत का संकल्प लेकर कलश में आम के हरे पत्ते, दूर्वा, पंचामृत एवं पंचगव्य डालकर उसके मुंह परकलावा बाधना चाहिए, कलश के पास गेहूं या जौ का पात्र रखकर पूजन कर मा दुर्गा का ध्यान करना चाहिए.देवी महात्म्य और दुर्गासप्तशती पाठ के साथ मंत्रोचारण भी करना चाहिए इस प्रकार नौ दिनों तक नवरात्र करके अष्टमी/नवमी/दशमी को दशांश हवन,कन्या पूजन द्वारा व्रत का पारायण करने चाहिये..!
–:नौ दिन के नौ विशेष उपाय:–
प्रथम नवरात्रि के दिन मां के चरणों में गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है.तथा शरीर निरोगी रहता है…..!
दूसरे नवरात्रि के दिन मां को शक्कर का भोग लगाएं व घर में सभी सदस्यों को दें,इससे आयु वृद्धि होती है……..!
तृतीय नवरात्रि के दिन दूध या दूध से बनी मिठाई खीर का भोग माँ को लगाकर ब्राह्मण को दान करें, इससे दुखों की मुक्ति होकर परम आनंद की प्राप्ति होती है……….!
मां दुर्गा को चौथी नवरात्रि के दिन मालपुए का भोग लगाएं,और मंदिर के ब्राह्मण को दान दें,जिससे बुद्धि का विकास होने के साथ-साथ निर्णय शक्ति बढ़ती है…….!
नवरात्रि के पांचवें दिन मां को केले का नैवैद्य चढ़ाने से शरीर स्वस्थ रहता है……….!
छठवीं नवरात्रि के दिन मां को शहद का भोग लगाएं,जिससे आपके आकर्षण शक्त्ति में वृद्धि होगी…!
सातवें नवरात्रि पर मां को गुड़ का नैवेद्य चढ़ाने व उसे ब्राह्मण को दान करने से शोक से मुक्ति मिलती है एवं आकस्मिक आने वाले संकटों से रक्षा भी होती है……….!
नवरात्रि के आठवें दिन माता रानी को नारियल का भोग लगाएं व नारियल का दान कर दें,इससे संतान संबंधी परेशानियों से छुटकारा मिलता है…..!
नवरात्रि की नवमी के दिन तिल का भोग लगाकर ब्राह्मण को दान दें,इससे मृत्यु भय से राहत मिलेगी,साथ ही अनहोनी होने की घटनाओं से बचाव भी होगा….!
–: विशेष मंत्रो का जाप:–
मनुष्य आज हर तरह से समस्याओं से परेशान है और जब मनुष्य परेशान होता है तब वह भगवान को याद करता है.इन समस्याओं को कम करने में दुर्गा मां के सिद्ध मंत्र प्रभावी होते हैं.मंत्रों में शक्ति होती है,शक्ति देने वाली मां दुर्गा है,दुर्गा सप्तशती में कुछ एैसे सिद्ध मंत्र है जिनसे मनुष्य की हर तरह की पेरशानी दूर हो सकती है,मां दुर्गा के सप्तशती के ये मंत्र धर्म,काम,अर्थ और मोक्ष चारों पुरूषार्थ प्रदान करने वाली है,जो पुरूष मन से और पूरी श्रद्धा से इन मंत्रो का उच्चारण सही तरह से यानी सम्पुट देकर पढ़ता है। उसे निश्चय ही फल प्राप्ती होती है,और वह किसी तरह की समस्या से नहीं डरता….!
सबसे पहला और सबसे मुख्य मन्त्र है,इसे नवार्ण मन्त्र के रूप मे जाना जाता है,इस मन्त्र मे पूरी दुर्गा सप्तसती का सार छुपा है,आप कुछ भी न करे और सिर्फ इस मन्त्र का जाप करले तो आप को आपकी सभी इस प्रकार की समस्याओ से चमत्कारिक रूप से मुक्ति मिल जाएगी….!
इस मन्त्र के बिना देवी से संबंधित का कोई भी अनुष्ठान सफल एवं सिद्ध नहीं हो पाता।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
रोग नाश के लिए सिद्ध मंत्र-
ॐ रोगानशेषानपहंसि तुष्टा, रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टिान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां, त्वामाश्रिता हाश्रियतां प्रयान्ति ।।
शुभ की प्राप्ति के लिए सिद्ध मंत्र-
ॐ करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी।
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।
बाधामुक्त होकर धन और पुत्रादि की प्राप्ति के लिए मंत्र-
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः।।
रक्षा प्राप्ति के लिए सिद्ध मंत्र-
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।
घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च।।
सभी प्रकार के कल्याण के लिए सिद्ध मंत्र-
सर्वमगडलमागडल्ये शिवे सर्वासाधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तु ते।।
यह मन्त्र उन विवाह योग कन्याओ के लिए है जिनके विवाह मे विलम्ब हो रहा हो, लाख प्रयास करने के बाद भी सुयोग्य वर की प्राप्ति नहीं हो रही है.
ॐ क्लीं ऐं ह्रीं चामुण्डायै विच्चे।
आपके समस्त दुर्भाग्य को ख़त्म करने के लिए, आपकी सभी प्रकार की परेशानी को ख़त्म करने के लिए इस मन्त्र का जाप विशेष लाभदायक परिणाम देने वाला है
ॐ क्लीं ह्रीं ऐं चामुण्डायै
इस मन्त्र के जाप से आपको जीवन में पूर्ण समृद्धि, सफलता और अक्षय कीर्ति प्राप्त होती है।
ऐं क्लीं सौः ।