ॐ श्री विष्णवे च विद्महे, वासुदेवाय धीमहि. तन्नो विष्णु: प्रचोदयात.II
Padmini Ekadashi: नमो नारायण…..पुरूषोत्तमा एकादशी व्रत पुरुषोत्तम मास (अधिक मास) में करने का विधान है.पुरूषोत्तमा एकादशी के विषय में एक समय धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्री कृष्ण से पूछा कि हे भगवन मुझे पुरुषोत्तम मास की एकादशी का फल बताएं, भगवान श्री कृष्ण ने उन्हें कहा कि एकादशी पापों का हरण करने वाली, मनुष्यों की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है.!
श्री भगवान बोले हे राजन्- अधिकमास में कृष्ण पक्ष में जो एकादशी आती है वह परमा पुरुषोत्तमी या कमला एकादशी कहलाती है,वैसे तो प्रत्येक वर्ष 24 एकादशियां होती हैं,जब अधिकमास या मलमास आता है,तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है,अधिकमास या मलमास को जोड़कर वर्ष में 26 एकादशियां होती हैं,अधिकमास में 2 एकादशियां होती हैं.जो पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) के नाम से जानी जाती है.ऐसा श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा है,भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को इस व्रत की कथा व विधि भी बताई थी.!
काम्पिल्य नगरी में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ निवास करता था,ब्राह्मण बहुत धर्मात्मा था और उसकी पत्नी पतिव्रता स्त्री थी,यह परिवार बहुत सेवाभावी था,दोनों स्वयं भूखे रह जाते, परंतु अतिथियों की सेवा हृदय से करते थे,धनाभाव के कारण एक दिन ब्राह्मण ने अपनी पत्नी कहा- धनोपार्जन के लिए मुझे परदेस जाना चाहिए,क्योंकि इतने कम धनोपार्जन से परिवार चलाना अति कठिन काम है.!
-:’Padmini Ekadashi: पद्मिनी एकादशी 2023 मुहूर्त’:-
पंचांगदिवाकर के अनुसार पुरुषोत्तम/अधिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि शुक्रवार 28 जुलाई 2023 को मध्याहन 14.52 मिनट से आरम्भ होकर शनिवार 29 जुलाई 2023 को मध्यान 13.06 मिनट पर सम्पत होगी,पुरुषोत्तम एकादशी व्रत पारण – रविवार 30 जुलाई 2023 प्रातः 05.44 – से 08.31 तक कर सकते हैं.!
-:’Padmini Ekadashi: पुरूषोत्तमा एकादशी पूजन’:-
पुरूषोत्तमा एकादशी व्रत में दशमी को व्रती शुद्ध चित्त हो उपवास करे.रात्रि में भोजन ग्रहण न करे, व्यसनों का परित्याग करता हुआ, भगवत् चिंतन में लीन रहकर भगवान का भजन करें. अगले दिन प्रातःकाल नित्य नैमित्तिक क्रियाओं से निवृत्त हो एकादशी व्रत का संकल्प ले कि हे पुरुषोत्तम भगवान मैं एकादशी व्रत का संकल्प- लेता हूँ, आप ही मेरे रक्षक हैं अत: मेरी प्राथना स्वीकार करें ऐसी प्रार्थना कर भगवान का षोडशोपचार पूजन करे.!
-:’Padmini Ekadashi: पुरूषोत्तमा एकादशी व्रत कथा’:-
कथा इस प्रकार है कि अवंतिपुरी में शिवशर्मा नामक एक ब्राह्मण निवास करता था. उसके पांच पुत्र थे इनमें जो सबसे छोटा पुत्र था, वह व्यसनों के कारण पाप क्रम करने लगा इस कारण पिता तथा कुटुंबीजनों ने उसका त्याग कर देते हैं. अपने बुरे कर्मों के कारण निर्वासित होकर वह भटकने लगा दैवयोग से एक दिन वह प्रयाग में जा पहुंचा. भूख से व्यथित उसने त्रिवेणी में स्नान करके भोजन की तलाश करनी आरंभ कि इधर-उधर भ्रमण करते हुए वह हरिमित्र मुनि के आश्रम में पहुँच जाता है. पुरुषोत्तम मास में वहां आश्रम में बहुत से, संत महात्मा एकत्रित होकर कमला एकादशी कथा का श्वण कर रहे होते हैं वह पापी भी पुरुषोत्तम एकादशी की कथा का श्रवण करता है.!
ब्राह्मण विधिपूर्वक पुरूषोत्तम एकादशी की कथा सुनकर उन सबके साथ आश्रम पर ही व्रत किरता है जब रात होती है तो देवी लक्ष्मी उसे दर्शन देती हैं और उसके पास आकर कहती हैं कि “हे ब्राह्मण पुरूषोत्तम एकादशी के व्रत के प्रभाव से मैं तुम पर बहुत प्रसन्न हूं तथा तुम्हें वरदान देना चाहती हूं. ब्राह्मण देवी लक्ष्मी से एकादशी व्रत का माहात्म्य सुनाने का आग्रह्य करता है, तब देवी उसे कहती हैं कि यह व्रत दुःस्वप्न का नाश करता है तथा पुण्य की प्राप्ति कराता है, अतः एकादशी माहात्म्य के एक या आधे श्लोक का पाठ करने से भी करोड़ों पापों से तत्काल मुक्त हो जाता है. जैसे मासों में पुरुषोत्तम मास, पक्षियों में गरुड़ तथा नदियों में गंगा श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार तिथियों में एकादशी तिथि श्रेष्ठ है.!
-:’Padmini Ekadashi: पुरूषोत्तमा एकादशी महात्मय’:-
जो लोग प्रभु भगवान पुरुषोत्तम के नाम का सदा भक्तिपूर्वक जप करते हैं, जो लोग श्री नारायण हरि की पूजा में ही प्रवृत्त रहते हैं, वे कलियुग में धन्य होते हैं. ऐसा कहकर लक्ष्मी देवी उस ब्राह्मण को वरदान दे अंतर्धान हो जाती हैं. फिर वह ब्राह्मण भी प्रभु श्री विष्णु की भक्ति में लीन हो जाता है और अपने पापों से दूर हो सम्मानित एवं धनी व्यक्ति बनकर अपने घर की ओर जाता है.!
पिता के घर पर संपूर्ण भोगों को प्राप्त होता हुआ वह ब्राह्मण भी अंत में भगवान विष्णु लोक को प्राप्त होता है. इस प्रकार जो भक्त पुरूषोत्तम एकादशी का उत्तम व्रत करता है तथा इसका माहात्म्य श्रवण करता है, वह संपूर्ण पापों से मुक्त हो धर्म-अर्थ-काम मोक्ष चारों पुरुषार्थों को प्राप्त कर लेता है.!
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