जय माता दी….शीतला सप्तमी का त्योहार हिन्दू कैलेंडर के अनुसार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है,वहीं कुछ जगह पर ये व्रत अष्टमी तिथि पर भी मनाया जाता है,मुख्य रूप से ये त्योहार उत्तर प्रदेश,राजस्थान और गुजरात के क्षेत्रों में मनाया जाता है,शीतला माता को प्रसन्न करने के लिए इस त्योहार पर ठंडा खाना खाया जाता है.इस व्रत में एक दिन पूर्व बनाया हुआ भोजन किया जाता है,अत: इसे बसौड़ा, बसियौरा व बसोरा भी कहते हैं,इस बार शीतला सप्तमी का व्रत सोमवार 01 अप्रैल को संपन्न किया जायेगा.!
-:’शीतला सप्तमी व्रत की विधि’:-
व्रती (व्रत करने वाली महिलाएं) को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करना चाहिए,इसके बाद व्रत का संकल्प लें,फिर विधि-विधान से शीतला माता की पूजा करें,इसके बाद एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों,मेवे,मिठाई,पूआ,पूरी,आदि का भोग लगाएं,शीतला स्तोत्र का पाठ करें,शीतला माता की कथा सुनें व जगराता करें,इस दिन व्रत करने वाले तथा उसके परिवार के किसी अन्य सदस्य को भी गर्म भोजन नहीं करना चाहिए.!
-:’शीतला सप्तमी का महत्व’:-
शीतला सप्तमी का व्रत करने से शीतला माता प्रसन्न होती हैं तथा जो यह व्रत करता है,उसके परिवार में दाहज्वर,पीतज्वर,दुर्गंधयुक्त फोड़े,नेत्र के समस्त रोग तथा ठंड के कारण होने वाले रोग नहीं होते,इस व्रत की विशेषता है कि इसमें शीतला देवी को भोग लगाने वाले सभी पदार्थ एक दिन पूर्व ही बना लिए जाते हैं और दूसरे दिन इनका भोग शीतला माता को लगाया जाता है,इसीलिए इस व्रत को बसोरा भी कहते हैं,मान्यता के अनुसार इस दिन घरों में चूल्हा भी नहीं जलाया जाता यानी सभी को एक दिन बासी भोजन ही करना पड़ता है.!
-:’शीतला सप्तमी व्रत कथा’:-
किसी गांव में एक महिला रहती थी,वह शीतला माता की भक्त थी तथा शीतला माता का व्रत करती थी,उसके गांव में और कोई भी शीतला माता की पूजा नहीं करता था,एक दिन उस गांव में किसी कारण से आग लग गई,उस आग में गांव की सभी झोपडिय़ां जल गई,लेकिन उस औरत की झोपड़ी सही-सलामत रही,सब लोगों ने उससे इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि मैं माता शीतला की पूजा करती हूं,इसलिए मेरा घर आग से सुरक्षित है,यह सुनकर गांव के अन्य लोग भी शीतला माता की पूजा करने लगे.!
नोट :- ज्योतिष अंकज्योतिष वास्तु रत्न रुद्राक्ष एवं व्रत त्यौहार से सम्बंधित अधिक जानकारी ‘श्री वैदिक ज्योतिष एवं वास्तु सदन’ द्वारा समर्पित ‘Astro Dev’ YouTube Channel & www.vaidicjyotish.com & Facebook पर प्राप्त कर सकते हैं.II