ॐ नमो नारायण…..वर्ष 2024 में शनिवार 22 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा हैं,हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठा मास हिन्दू वर्ष का तीसरा माह होता है.इस माह में विशेष रुप से गंगा नदी में स्नान और पूजन करने का विधि-विधान है.इस माह में आने वाले पर्वों में गंगा दशहरा और इस माह में आने वाली ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी और निर्जला एकादशी प्रमुख पर्व है. गंगा नदी का एक अन्य नाम ज्येष्ठा भी है. गंगा को गुणों के आधार पर सभी नदियों में सबसे उच्च स्थान दिया गया है.!
इस वर्ष ज्येष्ठ मास अधिक मास होने के कारण इस पूर्णिमा का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है, इस समय व्रत एवं पूजा पाठ द्वारा व्यक्ति को सुख-सौभाग्य, धन-संतान कि प्राप्ति होती है. ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार इस माह की कृष्ण्पक्ष की सप्तमी को कृतिका नक्षत्र के योग में दान तथा विष्णु पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है.!
-:’Jyeshtha Purnima 2024: सत्यनारायण कथा एवं पूजन’:-
ज्येष्ठ अधिक मास पूर्णिमा के अवसर पर भगवान सत्य नारायण जी कि कथा की जाती है. भगवान विष्णु की पूजा में केले के पत्ते व फल, पंचामृत, सुपारी, पान, तिल, मोली, रोली, कुमकुम, दूर्वा का उपयोग किया जाता है. सत्यनारायण की पूजा के लिए दूध, शहद, केला, गंगाजल, तुलसी पत्ता, मेवा मिलाकर पंचामृत तैयार किया जाता है, इसके साथ ही साथ गेहूँ के आटे को भून कर उसमें चीनी मिलाकर चूरमे का प्रसाद बनाया जाता है और इस का भोग लगाया जाता है.!
सत्यनारायण की कथा के बाद उनका पूजन होता है, इसके बाद देवी लक्ष्मी, महादेव और ब्रह्मा जी की आरती कि जाती है और चरणामृत लेकर प्रसाद सभी को दिया जाता है. पूर्णिमा में प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, पोखर, कुआं या घर पर ही स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. अधिक मास में ब्राह्मण को भोजन कराना, दक्षिणा देनी चाहिए. ज्येष्ठ अधिक मास पूर्णिमा के दिन स्नान करने वाले पर भगवान विष्णु कि असीम कृपा रहती है.!
-:’Jyeshtha Purnima 2024: व्रत उद्यापन’:-
इस समय स्नान, दान तथा जप आदि का अत्यधिक महत्व होता है. पूर्णिमा की समाप्ति पर व्रत का उद्यापन करके ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और अपनी श्रद्धानुसार दानादि करना चाहिए. इसके अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मलमास माहात्म्य की कथा का पाठ श्रद्धापूर्वक प्रात: एक सुनिश्चित समय पर करना चाहिए. इसमें धार्मिक व पौराणिक ग्रंथों के दान आदि का भी महत्व माना गया है. वस्त्रदान, अन्नदान, गुड़ और घी से बनी वस्तुओं का दान करना अत्यधिक शुभ माना गया है. यह माह बहुत गर्म माह होता है ऐसे में इस माह में जल का दान अत्यंत उत्तम फल प्रदान करने वाला होता है.!