योग के प्रकार की बात करें तो योग में कई तरह के अभ्यासों और तरीकों को शामिल किया गया है। योग का पहला प्रकार ज्ञान योग या दर्शनशास्त्र के नाम से जाना जाता है। ज्ञान योग में अध्ययन व अध्यापन पर जोर दिया जाता है। विशेषकर दर्शनशास्त्र पर, यह किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। इसके बाद नंबर आता है भक्ति योग जिसे भक्ति-आनंद का पथ के नाम से भी जाना जाता है।
बिक्रम योग (Bikram Yoga) को हॉट योगा के नाम से भी जाना जाता है। बिक्रम योग को हॉट योग इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे उच्च तापमान पर किया है। बिक्रम योग लंबे समय से चिकित्सीय भाव और आनंद संबंधी प्रभाव के लिए लोकप्रिय है। इस लेख में हम आपको बिक्रम योग क्या है?, बिक्रम योग मे कौन-सी मुद्राएं हैं?, बिक्रम योग का सिद्धांत क्या है?, बिक्रम योग कैसे करें?, बिक्रम योग करते समय आपको किन बातों का रखना है ध्यान इसके साथ ही हम आपको इस योग से होने वाले लाभ के बारे में भी जानकारी देंगे।
बिक्रम योग योग की एक क्रिया है जिसे बिक्रम चौधरी ने योग क्रियाओं के संकलन से तैयार किया था। इस प्रणाली को 70 के दशक की शुरुआती दौर में इसे प्रसिद्धि मिलनी शुरू हुई। जिसके बाद धीरे-धीरे इसका काफी व्यापक रूप से अभ्यास की जाने लगा। विक्रम योग का एक सेशन लगभग 90 मिनट तक का हो सकता है और इस दौरान अभ्यासकर्ता 26 आसनों और दो साँस संबंधी व्यायामों (प्राणायाम) की श्रृंखला एक पूरा सेट है। बिक्रम योग (Bikram Yoga) का अभ्यास आर्द्रता से भरे वातावरण वाले कमरे में कराया जाता है।
बिक्रम योग में कुल 26 मद्राओं का उल्लेख किया है, जो इस प्रकार हैं –
1- प्राणायाम, 2- पाद-हस्तासन के साथ अर्द्ध चंद्रासन, 3- उत्कटासन, 4- गरुड़ासन, 5- दण्डायमान – जनुशिरासन, 6- दण्डायमान – धनुरासन, 7- तुलादण्डासन, 8- दण्डायमान – विभक्तपाद – पश्चिमोत्तानासन, 9- त्रिकोणासन, 10- दण्डायमान – विभक्तपाद – जनुशिरासन, 11- ताड़ासन, 12- पदंगुस्तासन, 13- शवासन, 14- पवनमुक्तासन, 15- जंगासन, 16- सलभासन, 17- पूर्ण-सलभासन, 18- धनुरासन, 19- सुप्त-वज्रासन, 20- अर्द्ध-कूर्मासन, 21- उष्ट्रासन, 22- ससंगासन, 24- पश्चिमोत्तानासन के साथ जनुशिरासन, 25- अर्द्ध-मत्स्येन्द्रासन, 26- कपालभाति है।
बिक्रम योग सिद्धांत की बात करे तो इस सिद्धांत में जब अभ्यासकर्ता इस आसन का अभ्यास करता है तो उसके शरीर एक खास हिस्से पर प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण अंग फैलता व सिकूड़ता है। इस प्रकार रक्त संचरण में अस्थायी तौर पर बाधा आ जाती है। इस रुकावट को दूर करने के लिए हृदय अधिक रक्त को पंप करता है। अतिरिक्त मात्रा में ताजा रक्त पंप किये जाने की इस क्रिया को एक्सटेंशन कहा जाता है। रक्त की मात्रा में आए बदलाव के कारण हानिकारक पदार्थ शरीर से बाहर निकाल जाते हैं। देखा जाए तो योग की कई तकनीकें इस सिद्धांत का समर्थन करती हैं।
बिक्रम योग (Bikram Yoga) को करते समय अभ्यासकर्ता को कुछ सावधानियों को अपनाना चाहिए। इससे आप किसी भी अन चाहे परेशानी से बचने में सक्षम होंगे।
बिक्रम योगा पुरे 90 मिनट का सेशन होता है। इतनी देर तक गरम वातावरण में किसी व्यक्ति का योगा करना आसान नहीं है। सेशन की शुरुवात में आपको लगेगा की आप इसे छोड़ के बहार चले जायेंगे, लेकिन ऐसा करने के बजाय आपको धैर्य रखना होगा। नीचे बैठ जायें और मुह बंद कर नाक से सांस अंदर व बाहर छोड़े। इससे आपको काफी राहत मिलेगा।
यदि आप बिक्रम योग करने जा रहे है तो खुद को हाइड्रेटेड रखे, यानी कि आपको औसत से अधिक मात्रा में पानी का सेवन करना चाहिए। इससे आपके शरीर में पानी की स्तर सामान्य बना रहेगा। कहने का आशय यह है कि आपको योगाभ्यास से करीब आधे घंटे पहले पानी का सेवन करना होगा। योग करना के कुछ समय पहले पानी पीना आपके लिए हानिकार हो सकता है।
कई लोग योग करते वक्त पानी पीते हैं, लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए जरूरत महसूस होने पर ही पानी पीएं। अन्याथा इसका बुरा असर आपके पेट पर पड़ सकता है।
यदि किसी तरह की चिकित्सीय इतिहास है तो आपको अपने ट्रेनर से इस बारे में चर्चा करना चाहिए। इसके बात ही इस योग का अभ्यास करें।
बिक्रम योग का अभ्यास करने के कई लाभ हैं। जिनमें से कुछ के बार में हम यहां जानकारी दे रहे हैं।