योग के प्रकार की बात करें तो योग में कई तरह के अभ्यासों और तरीकों को शामिल किया गया है। योग का पहला प्रकार ज्ञान योग या दर्शनशास्त्र के नाम से जाना जाता है। ज्ञान योग में अध्ययन व अध्यापन पर जोर दिया जाता है। विशेषकर दर्शनशास्त्र पर, यह किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। इसके बाद नंबर आता है भक्ति योग जिसे भक्ति-आनंद का पथ के नाम से भी जाना जाता है। 

गर्भवती महिलाओं के लिए योग

योग हर किसी के लिए फ़ायदेमंद है चाहे व जिस भी स्थिति में हो, वर्तमान में महिलाओं की भूमिका में इज़ाफा हुआ है। खासकर जब एक महिला मां बनने के पथ पर होती है। ऐसे में उसका शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत होना और भी अनिवार्य हो जाता है। योग (Yoga) के अभ्यास स्त्री में न केवल शारीरिक अपितु मानसिक क्षमता का भी विकास होता है। इस लेख में हम बात करेंगे कि गर्भवती महिलाओं के लिए योग क्यों आवश्यक है? और वे कौन से आसन हैं जिन्हें करने से उन्हें लाभ होगा। तो आइये जानते हैं –

गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है योग?

गर्भवती महिलाओं के लिए योग हर आयाम पर लाभप्रद है। योग के अभ्यास से शरीर स्वस्थ्य व निरोगी बनता है। इससे बच्चा सेहतमंद व ऊर्जावान होता है। इसके आपको मानसिक तौर पर काफी लाभ मिलता है। अवसाद व उच्च रक्तचाप जैसी समस्याओं को को दूर करता है। जिससे गर्भ को दौरान आपको परेशानी नहीं होती है। तो आप योग के महत्व को समझ गई होंगी। तो आइये जानते

गर्भवती महिलाओं के लिए योगासन

आम तौर पर गर्भवती महिलाओं को योग करने से रोका जाता है, जबकि ऐसे कई योगासान है जो उनके लिए बेहद फ़ायदेमंद हैं। गर्भ काल के दौरान महिलाओं के शरीर में काफी बदलाव होते हैं। इन बदलावों कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इऩ समस्याओं से छुटकारा पाने में योग आपकी मदद करता है। तो आइये जानते योगासनों के बारे में –

प्राणायाम (Pranayam)

गर्भवती महिलाओं को प्राणायाम का अभ्यास जरूर करना चाहिए। इससे उनके शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा अधिक होती है और शरीर को शांति मिलती है। तनाव कम होता है। इसे आप नियमित कर सकती है। प्राणायाम के कई अन्य प्रकार जिनमें से भी आप कुछ को अपना सकती है।

ताड़ासन (Tadasana)

जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है। लंबाई इस आसन में सीधे खड़ें होकर हाथों को जोड़ते हुए ऊपर की ओर ले जाएं। जितना हो सकें ताने। गर्भवती महिलाओं के लिए ताड़ासन काफी लाभदायक है। इससे रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है। साथ ही यह कमर दर्द से भी राहत दिलाता है। इस आसन को गर्भवती महिलाओं को शुरुआती 6 माह तक करना चाहिए।

पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)

इस आसन को करने के लिए सुखासन में बैठना है। इसके बाद पैरों को आगे की ओर फैलाएं। फिर आगे की ओर लेटते हुए हाथ से पैर के पंजों को छूना है। पश्चिमोत्तानासन गर्भवती महिलाओं के लिए काफी फ़ायदेमंद माना जाता है। इसे करने से एकाग्रता बढ़ती है और इनके अंदर की चंचलता स्थिर होती है। मन पर नियंत्रण मिलता है। जिन के कुल्हें भारी होते है उनके लिए यह आसन काफी लाभप्रद है।

शवासन (Shavasana)

इसे खासकर योग के बाद किया जाता है। इसमें लेट कर अपने शरीर को आराम अवस्था में छोड़ देना होता है। इस आसन को करने से गर्भवती महिलाओं को तनाव व चिंता से मुक्ति मिलती है। यह गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे भ्रूण के विकास में सहायता करता है। गर्भवती महिलाओं को नियमित रूप से इस आसन को करना चाहिए।

त्रिकोणासन (Trikonasana)

त्रिकोणासन को फॉलिंग स्टार पोज के नाम से भी जाना जाता है। त्रिकोणासन को करने के लिए सीधे खड़े होकर सांस अंदर लें। अब दोनों पैरों के बीच कुछ दूरी बनाते हुए सांस छोड़ें। फिर दोनों हाथों को ऊपर उठाकर बायीं ओर झुकना है। दायें हाथ से बायें पैर को छुयें और बायीं हथेली की ओर देख दें। थोड़ी देर इसी स्थिति में बने रहें, फिर शुरूआती अवस्था में आ जाएं। यही क्रिया दायीं ओर के लिए भी दोहराएं। इस आसन को करने से बच्चों के शरीर को सही शारीरिक खींचाव मिलता है। इसके अभ्यास करन से हाथ, पैर, कूल्हे, रीढ़ की हड्डी और सीने को मज़बूती मिलती है। यह नर्वस सिस्टम को बेहतर बनाता है।

वीरभद्रासन (Virabhadrasana)

वीरभद्र आसन को वॉरियर पोज भी कहा जाता है। यह कई प्रकार का है। यह आसन हाथों, कंधों, जांघों एवं कमर की मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करता है। इसके साथ ही शरीर को संतुलन बनाने में मदद करता है। यदि उच्‍च रक्‍तचाप की शिकायत है तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।

मार्जरी आसन (Marjariasana)

यह आसन कैट पोज के नाम से काफी प्रचलित है। इसे करने के लिए आपको घुटनों व हाथों के बल आना होता है। इस आसन में कई आयाम हैं। इसे करने से रीढ़ की हड्डि को ताकत मिलती है। शरीर में लचीलापन आता है। इससे शरीर में रक्त का संचार अच्छे होता है और पाचन क्रिया में भी सुधार आता है।

बद्धकोणासन (Baddha Konasana)

इस आपको इस आसन को करने के लिए सीधे खड़े होने के बाद दोनों हाथों को फैला लें दायीं ओर झुकते हुए दायें हाथ से पैर के पंजे को छुए। यही प्रक्रिया दूसरी ओर दोहराएं। इस आसन से रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनती है। ब्‍लड सर्कुलेश्‍न में अच्छी तरह से होता है। इसे नियमित करने से गर्भवती महिला की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। यही नहीं प्रेगनेंसी के दौरान कब्‍ज से भी राहत मिलती है।

 

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