योग के प्रकार की बात करें तो योग में कई तरह के अभ्यासों और तरीकों को शामिल किया गया है। योग का पहला प्रकार ज्ञान योग या दर्शनशास्त्र के नाम से जाना जाता है। ज्ञान योग में अध्ययन व अध्यापन पर जोर दिया जाता है। विशेषकर दर्शनशास्त्र पर, यह किसी भी क्षेत्र में हो सकता है। इसके बाद नंबर आता है भक्ति योग जिसे भक्ति-आनंद का पथ के नाम से भी जाना जाता है।
हॉट योगा (Hot Yoga), योग के कई आसनों का संगल स्थल हैं। इस योग में जातक को भरपूर ऊर्जा का आभास होता है। वर्तमान में इस योगा को सेलिब्रिटीज का मन पसंदीदा एक्सरसाइज माना जाता है। अधिकतर अभिनेता व अभिनेत्रियाँ योग के इस प्रकार को करने में रूचि दिखा रहे हैं। इस लेख में हम हॉट योगा (Hot Yoga) क्या है?, हॉट योगा के पीछे का इतिहास क्या है? इसे कैसे करते हैं?, हॉट योगा करने के क्या लाभ हैं? तो आइये जानते हैं हॉट योगा के बारे में –
हॉट योगा 90 मिनट तक का एक सेशन है जिसमें व्यक्ति 26 अलग प्रकार के आसनो का अभ्यास करता है। इन 26 आसनो के अलावा इसमें 2 प्राणायाम आसन भी शामिल हैं। जिससे की आपको खुद को स्वस्थ रखने में कामयाब होते हैं और आप अपने शरीर को तंदरूस्त रख पाते हैं। हॉट योगा में प्राणायाम सीरीज, पाद-हस्तासन के साथ अर्द्ध चंद्रासन, उत्कटासन, गरुड़ासन, दण्डायमान, धनुरासन, तुलादण्डासन, विभक्तपाद, पश्चिमोत्तानासन,, त्रिकोणासन, विभक्तपाद – ताड़ासन, पदंगुस्तासन, शवासन, पवनमुक्तासन, भुजंगासन, सलभासन, सलभासनफुल, धनुरासन, सुप्त-वज्रासन, अर्द्ध-कूर्मासन, उष्ट्रासन, ससंगासन, पश्चिमोत्तानासन, अर्द्ध-मत्स्येन्द्रासन और कपालभाति शामिल है।
हॉट योग के रूप में वर्णित पहली शैली बिक्रम चौधरी मानी जाती है, जिन्होंने इसे पारंपरिक हठ योग तकनीकों के जरीए तैयार किया था। जापान में भारत की गर्मी की तरह वातावरण बनाने के लिए वहां के स्टूडियो का तापमान बढ़ाया गया। कुछ समय बाद चौधरी संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए। 70 के दशक के प्रारंभ में बिक्रम योग या कहे तो हॉट योग से अच्छे परिणाम मिले और यह लोकप्रिय हुआ।
इस शैली में 24 आसन और 2 साँस लेने के व्यायाम के साथ 105 °F (41 °C) तक का गर्म कमरा शामिल है। प्रत्येक सेशन 90 मिनट लंबी होती है और इसमें क्रिया का एक निश्चित क्रम होता है। कक्षा दो मिनट की सवासना के साथ खत्म होती है। वैसे तो इस योगासन को किसी योग्य प्रशिक्षक से प्रशिक्षण लेकर ही करना चाहिए। लेकिन अगर आप इसे घर पर करना चाहे तो थोडा सावधानी से करें। अन्यथा आपको इससे परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
यदि आप घर में ही हॉट योगा (Hot Yoga) या बिक्रम योगा करना चाहते हैं तो आपको बहुत ज्यादा स्पेस की जरूरत नहीं। आप छोटे से कमरे में चटाई बिछाकर और कमरे का टैम्परेचर लगभग 40 डिग्री सेल्सियस तक करके इस आसन को सकते हैं। ध्यान रखें आपका कमरा ऐसा हो जिसमें हवा आने की गुंजाईश ना हो लेकिन आपको सफोकेशन भी ना हो। हॉट योगा करने से पहले आपको पानी का अधिक सेवन करना होगा। क्योंकि इस योगा में पसीना खूब मिकलता है। हॉट योगा की शुरूआत आपको नॉर्मल योगासन से करना चाहिए। फिर आप सूर्य नमस्कार करें। इसके बाद आपको स्ट्रेच वाले आसन करना चाहिए जैसे कोणासन, भुजंगासन। क्योंकि यह सभी आसन इतने ही तापमान पर किया जाता है इसलिए इसे करने के पूर्व योग प्रशिक्षक से परामर्श जरूर करें।
आपको कुछ बातों का ध्यान रखें, जब आप इस योग के इस सेशन को समाप्त करें तो ऐसी जगह न जाएं या बैठे जहां बहुत ठंडा हो और ना ही बहुत गर्म यानी की आपको सामान्य तापमान वाले कमरे व स्थान में बैठे और शरीर का तापमान सामान्य करने के बाद ही कमरे से बाहर निकलें। हॉट योगा अन्य योगासनों के मुकाबले शरीर पर काफी ज्यादा व जल्दी असर डालता है। इस योगा को करने के बाद शरीर में काफी ऊर्जा बनती है। आप अपने जरूरत के हिसाब से इसके समय को कम व ज्यादा कर सकते हैं। आप इसमें अपना पसंदीदा योग को भी शामिल कर सकते हें। अगर आप ब्लड प्रेशर के पेशेंट्स है तो आपको इस योग को करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लेनी चाहिए।
हॉट योगा जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह व्यायाम गर्म और आर्द्र परिस्थितियों में किया जाता है। जिसके परिणामस्वरूप शरीर से काफी नमी पसीने के रूप में आता है। बिक्रम चौधरी कहना है कि बिक्रम योग गर्म वातावरण में शरीर को गति देने और अशुद्धियों को दूर करने में मदद करता है। हॉट योगा (Hot Yoga) के यहां हम कुछ लाभ गीना रहे है –
हॉट योगा करने से आपको थायरॉइड की समस्या से काफी रहत मिलती है।
हॉट योगा (Hot Yoga) डायबिटीज़ संपूर्ण रूप से नियंत्रित करने में सहायक होता है यदि इसे नियमित किया जाए तो मधुमेह ठीक भी हो सकता है।
इस योग से व्यक्ति कब्ज, ऐसिडिटी, गैस्टि्क जैसी पेट की सभी समस्याएँ निजात पा सकता है।
व्यक्ति के शरीर में स्वतः ही कैल्शियम तैयार होता है। जिससे उसकी हड्डियां मजबूत होती हैं।
शरीर में पॉजिटिव एनर्जी का लेवल बढ़ जाता है।
मन और मस्तिष्क की शांति मिलती है। जिससे तनाव कम होता है। आपकी सोचने की क्षमता भी बढ़ती है।