हर धार्मिक स्थान से कई रोचक कहानियां एवं जानकारियां जुड़ी हैं। हमारा उद्देश्य यही है कि हम अपने पाठकों तक इस तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां पंहुचा सकें। हमारे इस खंड में आप भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में जान सकेंगें।

अमृतसर

अयोध्या भारत के सबसे प्रचीन धार्मिक नगरों में से एक है। धार्मिक व पौराणिक महत्व रखने वाला यह नगर उत्तरप्रदेश के अयोध्या जिला के अंतर्गत आता है। यह पवित्र सरयू नदी के दाएं तट पर बसा है। अयोध्या हिन्दुओं और जैन धर्म के प्राचीन पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। पहले इस नगर को कौशल देश भी कहा जाता था। इस लेख में हम आपको अयोध्या धाम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहें हैं, लेख में अयोध्या (Ayodhya )  की स्थापना कैसे हुई, यहां के दर्शनीय स्थान, जिनमें राम मंदिर (Ram Mandir)हनुमानगढ़ी (Hanuman Garhi) और कनक भवन (Kanak Bhavan) शामिल हैं। जिनके बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए अयोध्या कैसे पहुंचा जा सकता है इस बारे में भी बताएंगें।

अन्य धार्मिक स्थल

अमृतसर का इतिहास

पंजाब राज्य में स्थित अमृतसर (Amritsar) लगभग साढ़े चार सौ वर्ष से अस्तित्व में है। परंतु अमृतसर का संबंध रामायण काल से है, ऐसी मान्यता है। माना जाता है कि महर्षि वाल्मीकि का आश्रम यही पर था और माता सीता ने लव और कुश को इसी स्थान पर जन्म दिया था। इतिहासकारों का मानना है गोविंदगढ़ किला और राम बाग का निर्माण सिख साम्राज्य के संस्थापक महाराजा रणजीत सिंह ने करवाया है। इस शहर का अस्तित्व स्वर्ण मंदिर से जुड़ा है। उपलब्ध जानकारी के अनुसार सबसे पहले गुरू रामदास ने सन 1577 में 500 बीघा जमीन में इस पवित्र गुरूद्वारे की नींव रखी थी। यह गुरूद्वारा एक सरोवर के बीच में बना हुआ है। जलियांवाला बाग भी अमृतसर आने वालों के लिये आकर्षण का केंद्र है। यहां आकर देशभक्ति भावना उमड़कर आती है। दिवारों पर गोलियों के निशान देखकर अंग्रेजी हुकूमत के जुल्म को महसूस किया जा सकता है।

अमृतसर के दर्शनीय स्थान

अमृतसर का प्रमुख आकर्षण केंद्र स्वर्ण मंदिर है। जिसे देखने देश व विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं। इसके अलावा दुर्ग्याणा मंदिर, वाल्मीकि तीर्थ और जलियां वाला बाग दर्शनीय हैं।

स्वर्ण मंदिर
स्वर्ण मंदिर (Swarn Mandir) अमृतसर का सबसे बड़ा आकर्षण है। अमृतसर गोल्डन टैंपल का पूरा नाम हरमंदिर साहिब है और स्वर्ण मंदिर यानि गोल्डन टैंपल के नाम से प्रसिद्ध है। पूरा अमृतसर शहर स्वर्ण मंदिर के चारों तरफ बसा हुआ है। कहने का आशय है कि स्वर्ण मंदिर अमृतसर के केंद्र में स्थित है। स्वर्ण मंदिर में प्रतिदिन अनेक देशी-विदेशी पर्यटक और श्रद्धालु आते हैं। अमृतसर का नाम वास्वत में उस तालाब के नाम पर रखा पड़ा है जिसका निर्माण गुरू रामदास ने अपने हाथों से किया था। सिखों के लिए गुरू ही सब कुछ हैं। स्वर्ण मंदिर (Swarn Mandir) में प्रवेश करने से पहले हर कोई सम्मान वश मंदिर के आगे अपना शीश झुकाता है, फिर पैर धोने के बाद सीढ़ियों से मुख्य मंदिर तक जाता है। हर मंदिर साहब परिसर में दो बड़े और कई छोटे-छोटे तीर्थस्थल हैं। ये सारे तीर्थस्थल जलाशय के चारों ओर फैले हुए हैं। इस जलाशय को अमृतसर और अमृत झील के नाम से जाना जाता है।

दुर्ग्याणा मंदिर
यह प्राचीन मंदिर हाथी गेट इलाके में स्थित है। यहां पर दुर्गीयाना मंदिर है। इस मंदिर को हर मंदिर की तरह बनाया गया है। इस मंदिर के जलाशय के मध्य में सोने की परत चढ़ा गर्भ गृह बना हुआ। पौराणिक कथाओं के अनुसार यही वह स्थान है जहां हनुमान अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को लव-कुश से वापस लेने आए थे और उन्होंने हनुमान को हरा दिया था।

पावन वाल्मीकि तीर्थ
यह वो पावन धरती है, जहां पर आदिकवि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी। यहीं पर माता सीता ने लव को जन्म दिया और सीता की मन की इच्छा को जानकार आदिकवि वाल्मीकि ने घास के तिनके में प्राण डाले और कुश को प्रगट किया था। कहा जाता है कि अमृतसर शहर की स्थापना भगवान वाल्मीकि के अमृत से ही हुई है।

जलियांवाला बाग
जलियांवाला बाग में हुए गोलीकांड के बारे में हर कोई जानता है। आज भी इस घटना के कल्पना मात्र से दिल में ज्वाला धधक उठती है। 13 अप्रैल सन 1919 के दिन इस बाग में एक सभा का आयोजन किया गया था। यह सभा अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध बुलाई गई थी। सभा को बीच में रोकने के लिए जनरल डायर ने बाग के मार्ग को अपने सैनिकों के साथ घेर लिया और भीड़ पर अंधाधुंध गोली बारी शुरू कर दी। इस गोलीकांड में बच्चों, बुढ़ों समेत लगभग 300 लोगों की जान चली गई। जलियांवाला बाग हत्याकांड इतना भयंकर था कि उस बाग में स्थित कुआं शवों से पट गया था। वर्तमान में इसे एक सुन्दर पार्क के रूप में बदल दिया गया है और इसमें एक संग्राहलय का निर्माण किया गया है। इसकी देखभाल और सुरक्षा की जिम्मेदारी जलियांवाला बाग ट्रस्ट की है। इसमें दो स्मारक भी बनाए गए हैं। जिसमें एक स्मारक रोती हुई मूर्ति का है और दूसरा स्मारक अमर ज्योति है।

कैसे पहुंचे अमृतसर
अमृतसर आप तीनों मार्ग से जा सकते हैं। दिल्ली से यात्रा में लगने वाला समय रेल मार्ग व सड़क मार्ग से 9 घंटा तथा वायु मार्ग से 1 घंटा है।

वायु मार्ग : श्री गुरु रामदास जी अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, अमृतसर से करीब 11 किलोमीटर की दूरी पर राजासांसी नामक स्थान पर है। हवाई अड्डे से गोल्डन टैंपल तक पंहुचने में लगभग 20 मिनट लगते हैं। यह हवाई अड्डा देश की राजधानी दिल्ली से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग : रेल मार्ग से भी अमृतसर आसानी से पंहुचा जा सकता है। देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य हिस्सों से भी रेलमार्ग के माध्यम से अमृतसर अच्छे से जुड़ा है।

सड़क मार्ग : आप कार से रोड़ के जरिए आसानी से अमृतसर पहुंच सकते हैं। इसके अलावा दिल्ली के कश्मीरी गेट बस स्टैंड से भी अमृतसर के लिए बसें जाती हैं।