हर धार्मिक स्थान से कई रोचक कहानियां एवं जानकारियां जुड़ी हैं। हमारा उद्देश्य यही है कि हम अपने पाठकों तक इस तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां पंहुचा सकें। हमारे इस खंड में आप भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में जान सकेंगें।

अयोध्या

अयोध्या भारत के सबसे प्रचीन धार्मिक नगरों में से एक है। धार्मिक व पौराणिक महत्व रखने वाला यह नगर उत्तरप्रदेश के अयोध्या जिला के अंतर्गत आता है। यह पवित्र सरयू नदी के दाएं तट पर बसा है। अयोध्या हिन्दुओं और जैन धर्म के प्राचीन पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। पहले इस नगर को कौशल देश भी कहा जाता था। इस लेख में हम आपको अयोध्या धाम से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहें हैं, लेख में अयोध्या (Ayodhya )  की स्थापना कैसे हुई, यहां के दर्शनीय स्थान, जिनमें राम मंदिर (Ram Mandir)हनुमानगढ़ी (Hanuman Garhi) और कनक भवन (Kanak Bhavan) शामिल हैं। जिनके बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए अयोध्या कैसे पहुंचा जा सकता है इस बारे में भी बताएंगें।

अन्य धार्मिक स्थल

अयोध्या का पौराणिक इतिहास

सरयू नदी के तट पर बसी इस धर्म नगरी की स्थापना वाल्मीकि रचित रामायण अनुसार सूर्य के पुत्र महाराज वैवस्वत मनु द्वारा की गई थी। माथुरों के इतिहास के अनुसार वैवस्वत मनु का जन्म लगभग 6673 ईसा पूर्व हुआ था। ब्रह्मा जी के पुत्र मरीचि से कश्यप का जन्म हुआ। कश्यप से विवस्वान और विवस्वान के पुत्र वैवस्वत मनु थे। वेद में अयोध्या का उल्लेख एक ईश्वरीय नगर के रूप में किया गया है और इस नगर की संपन्नता की तुलना स्वर्ग से की गई है। यह पुरी सरयू के तट पर लगभग 144 किलो मीटर लम्बाई और लगभग 36 किलो मीटर चौड़ाई में बसी थी। वर्तमान में इस नगर की लंबाई व चौड़ाई लगभग 79 किलो मीटर है। कई शताब्दियों तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा। अयोध्या मूल रूप से मंदिरों व घाटों का शहर है। यहां आज भी हिंदू, बौद्ध, इस्लाम एवं जैन धर्म से जुड़े अवशेष आसानी से देखे जा सकते हैं। जैन मत के अनुसार यहां आदिनाथ सहित पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था।

अयोध्या – सप्त पुरियों में एक

हिंदू धर्म के पौराणिक ग्रंथों में अयोध्या को मोक्षदायिनी सात पुरियों में से एक बताया गया है। माना जाता है कि इन पुरियों में से जीव की मृत्यु किसी एक पुरी में भी हो तो वह जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाता है।

अयोध्या मथुरा माया काशी काञ्ची अवन्तिका।
पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः ॥
अर्थात अयोध्या, मथुरा, हरिद्वार, काशी, काञ्चीपुरम, उज्जैन, और द्वारका – ये सात मोक्ष देने वाले स्थल हैं

मुख्य दर्शनीय स्थल

वर्तमान में अयोध्या के मंदिरों में राम जन्मभूमि मंदिर, हनुमानगढ़ी तथा कनक भवन मुख्य हैं। कुछ मंदिर 18वीं तथा 19वीं शताब्दी में निर्मित हुए थे, जिनमें कनक भवन, नागेश्वरनाथ तथा दर्शनसिंह मंदिर दर्शनीय हैं। यहां कुछ जैन मंदिर भी हैं और सरयू नदी के किनारे 14 प्रमुख घाट हैं। इनमें गुप्त द्वार घाट, कैकेयी घाट, कौशल्या घाट, पापमोचन घाट, लक्ष्मण घाट आदि विशेष महत्व रखते हैं। यहां पर वर्ष में तीन मेले लगते हैं – मार्च-अप्रैल, जुलाई-अगस्त तथा अक्टूबर-नंवबर के महीनों में। इन अवसरों पर यहां लाखों श्रद्धलु आते हैं।

राम जन्मभूमि
यह स्थान पवनपुत्र हनुमान के आराध्य और हिंदुओं की आस्था के केंद्र प्रभु श्रीराम की जन्म स्थली है। भगवान श्री राम को मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। पौराणिक मान्यता है कि चैत्र मास की नवमी को भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था। तब से इस दिन को रामनवमी के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

हनुमानगढ़ी
अयोध्या नगर के केन्द्र में स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर सिद्ध पीठ है। मंदिर में मुख्य द्वार से महज 76 कदम चल कर पहुंचा जा सकता है। मान्यता हैं कि हनुमानजी यहां एक गुफा में रहते थे और रामजन्मभूमि तथा रामकोट की रक्षा करते थे। मुख्य मंदिर में बाल हनुमानजी के साथ माता अंजनि की प्रतिमा स्थापित है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि हनुमानजी के दर्शन मात्र से उनकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

कनक भवन
हनुमान गढ़ी से कुछ कदम दूरी पर स्थित कनक भवन अयोध्या के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है। यह मंदिर माता सीता और प्रभु श्रीराम के सोने की मुकुट धारण किए हुए प्रतिमाओं के लिए लोकप्रिय है। इसी कारण इस मंदिर को कनक भवन अर्थात सोने का घर भी कहा जाता है। इस मंदिर में श्री सीताराम जी काफी सुंदर स्वरूप में स्थापित हैं।

रामकोट
नगर के पश्चिमी भाग में स्थित रामकोट अयोध्या में पूजा का मुख्य स्थान है। यहां भारत के विभिन्न स्थानों और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आवा गमन लगा रहता है। मार्च-अप्रैल माह में मनाया जाने वाला रामनवमी उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।

जैन मंदिर
हिंदू मंदिरों के अलावा, अयोध्या जैन मंदिरों के लिए भी खासा लोकप्रिय है। जैन धर्म के अनेक अनुयायी नियमित रूप से अयोध्या आते रहते हैं। अयोध्या को पांच जैन तीर्थंकारों की जन्मभूमि भी कहा जाता है। अयोध्या में जहां जिस तीर्थंकर का जन्म हुआ था, वहीं उस तीर्थंकर का मंदिर बना हुआ है। इतिहास में दर्ज तथ्यों के आधार पर इन मंदिरों का निर्माण फैजाबाद के नवाब के खजांची केसरी सिंह ने करवाया था।

अयोध्या कैसे पहुंचें ?
अयोध्या तीनों मार्गों वायु, रेल और सड़क मार्ग से बड़ी ही सुगमता से पहुंचा जा सकता है।

वायु मार्ग
अयोध्या से सबसे निकटतम अमौसी एयरपोर्ट लखनऊ में है जो यहां से लगभग 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह एयरपोर्ट देश के प्रमुख शहरों से कई फ्लाइटों के माध्यम से जुड़ा हुआ है।

रेल मार्ग
अयोध्या देश के किसी भी कोने से रेल द्वारा पहुंचा जा सकता है। पंडित दीनदयाल रेलवे प्रखंड लखनऊ का अयोध्या एक रेलवे स्टेशन है। अयोध्या से फैजाबाद निकटतम रेलवे स्टेशन है। यह रेलवे स्टेशन मुगल सराय-लखनऊ रेल लाइन पर स्थित है। यहाँ से और यहां के लिए बनारस, प्रयागराज, दिल्ली, मुंबई और रामेश्वरम से सीधी ट्रेनें उपलब्ध हैं।

सड़क मार्ग
उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम की बसें लगभग सभी प्रमुख शहरों से अयोध्या के लिए चलती हैं। यह नगर राष्ट्रीय राज्य राजमार्ग से जुड़ा हुआ है।