हर धार्मिक स्थान से कई रोचक कहानियां एवं जानकारियां जुड़ी हैं। हमारा उद्देश्य यही है कि हम अपने पाठकों तक इस तरह की महत्वपूर्ण जानकारियां पंहुचा सकें। हमारे इस खंड में आप भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में जान सकेंगें।

उज्जैन

उज्जैन नगर का संबंध सीधे महाकाल से है। यहां बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विद्धमान है। यहां साल भर भक्तों का तांता लगा रहता है। उज्जैन (Ujjain) शहर में पहुंचते ही भक्तों को बाबा की अलौकिक शक्तियों का आभास होना शुरू हो जाता है। यहां कहते हैं कि कोई भक्त एक बार शिव के इस विराट स्वरूप का दर्शन कर ले तो वह अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। उज्जैन प्राचीन धार्मिक नगरियों में से एक है। यहां अदिकाल से धार्मिक व आध्यात्मिक कार्य सुचारू रूप से चला आ रहा है। इसके इतर उज्जैन, सिंहस्थ कुंभ मेले के लिए प्रसिद्ध है। आगे हम उज्जैन के पौराणिक तथा धार्मिक महत्व के साथ यहां के दर्शनीय स्थानों के बारे में जानेंगे।

अन्य धार्मिक स्थल

उज्जैन का पौराणिक महत्व 

उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की स्थापना से संबंधित कई कथाएं प्रचलित हैं जिनमें से एक हम यहां प्रस्तुत कर रहे हैं। प्रचलित कथा के अनुसार अवंती नगरी (उज्जैन) में वेदप्रिय नामक ब्राह्मण रहा करते थे। वे अपने घर में शिवलिंग की स्थापना कर उसकी शास्त्र विधि से पूजा करते थे। ब्राह्मण के चार पुत्र थे देवप्रिय, प्रियमेध, संस्कृत और सुव्रत। ये चारों पुत्र तेजस्वी और आज्ञाकारी थे। उसी समय दूषण नामक एक असुर ने भगवान ब्रह्मा से अजेय होने का वरदान प्राप्त कर लिया। दूषण सभी लोगों पर अत्याचार करने लगा और अपनी सारी सेना लेकर उज्जैन (Ujjain) पहुंचा। जहां उसने ब्राह्मणों को खूब यातनायें दी। इतना सब होने पर भी वे चार ब्राह्मण बंधु भयभीत ना हुए और शिव जी की पूजा करते रहें। यह देख दूषण ने उन चारों भाईयों को मारने के लिए तलवार उठा ली, जैसे ही असुर उन्हें मारने के लिए आगे बढ़ा, वैसे ही भगवान शिव प्रकट हुए। शिव जी ने असुर दूषण से कहा कि मैं तुम्हारे विनाश के लिए काल के रूप में प्रकट हुआ हूँ। इस प्रकार महाकाल ने अपने हुंकार मात्र से ही असुर का अंत कर दिया। इसके बाद भगवान शिव उन चारों पर अति प्रसन्न होकर बोले कि मनचाहा वर मांगो। उन चारों ने बोला कि आप हमें मोक्ष प्रदान करें और लोगों की रक्षा के लिए यहां सदा के लिए विराजमान हो जाएं। तब भगवान शिव उज्जैन में एक शिवलिंग के रूप में विराजमान हो गए। आज हम इस शिवलिंग को महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के नाम से जानते हैं।

उज्जैन का धार्मिक महत्व 

उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ मेला एक महान स्नान पर्व है। यह मेला बारह वर्षों के अंतराल पर तब मनाया जाता है जब बृहस्पति सिंह राशि में आते हैं। क्षिप्रा नदी में यह पुण्य स्नान चैत्र मास की पूर्णिमा से आरंभ होता है और वैशाख पूर्णिमा तक चलता है। देश भर में चार स्थानों पर कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें प्रयाग, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन शामिल हैं। इनमें से नासिक और उज्जैन में लगने वाले कुंभ को सिंहस्थ के नाम से पुकारा जाता है।

उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थल
उज्जैन में सबसे दर्शनीय स्थान महाकालेश्वर मंदिर है। जहां आपको शिव के तीसरे ज्योतिर्लिंग का दर्शन प्राप्त करने का सौभाग्य मिलता है। इसके अतिरिक्त उज्जैन में श्री बड़े गणेश मंदिर और मंगलनाथ मंदिर दर्शनीय हैं।

महाकालेश्वर मंदिर
उज्जैन के महाकालेश्वर की गणना शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में होती है। महाकालेश्वर मंदिर के पौराणिक महत्व का वर्णन विभिन्न पुराणों में विस्तृत रूप से मिलता है। उज्जैन में विराजमान इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से व्यक्ति अकाल मृत्यु के भय से मुक्त हो जाता है। महाकाल को उज्जैन का अधिपति आदिदेव भी माना जाता है।

श्री बडे गणेश मंदिर
श्री महाकालेश्वर मंदिर के कुछ ही दूरी पर श्री बड़े गणेश मंदिर स्थित है। जहां विघ्नहर्ता श्री गणेश की भव्य और कलापूर्ण मूर्ति प्रतिष्ठित है। इस मूर्ति का निर्माण विख्यात विद्वान स्वर्गीय पंडित नारायण जी व्यास ने किया था। मंदिर परिसर में अनेक देवस्थान हैं, जिनमें सप्तधातु की पंचमुखी हनुमान प्रतिमा के साथ-साथ कृष्ण यशोदा आदि की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं।

मंगलनाथ मंदिर
उज्जैन नगरी में स्थित यह मंदिर मंगल देव को समर्पित है। यहां अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए पूजा-पाठ करवाया जाता है। पुराणों के अनुसार मंगल देव का जन्म उज्जैन में हुआ है। जिसके चलते उज्जैन के इस मंदिर को खास महत्व दिया जाता है। कहा जाता है कि यह मंदिर सदियों पुराना है। हर मंगलवार के दिन इस मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगाता है।

उज्जैन कैसे पहुंचे
महाकाल के दर्शन के लिए उज्जैन कैसे पहुंचे यह बड़ा सवाल है। उज्जैन यातायात के तीनों साधनों से पहुंचा जा सकता है।

वायु मार्ग
उज्जैन में कोई एयरपोर्ट नहीं है। यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है जो करीब 58 किलोमीटर दूर है। यह एयरपोर्ट देश के कई दूसरे हवाई अड्डों से जुड़ा है।

रेल मार्ग
उज्जैन शहर लगभग देश के सभी बड़े शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है। उज्जैन के लिए दिल्ली, मुंबई और कोलकाता से सीधी रेल सेवा उपलब्ध है।

सड़क मार्ग
उज्जैन आप सड़क मार्ग के जरिए पहुंच सकते हैं। उज्जैन देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है। नैशनल हाइवे 48 और नैशनल हाइवे 52 इसे देश के प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं।