December 6, 2024 7:55 PM

भारतीय विद्वान इस सभ्यता को अनादि परंपरा से उत्पन्न हुआ मानते हैं। परंतु पश्चिमी विद्वानों का मत है कि आर्यों का एक समुदाय भारत वर्ष में कहीं और से लगभग 1500 ईसा पूर्व आया और इनके आने के बाद इस सभ्यता की नींव पड़ी। हालाँकि भारत मे आर्यो के आने का प्रमाण अभी तक न ही किसी पुरातत्त्व खोज में और न ही किसी डी एन ए अनुसंधानों में मिला है।

हाथ से खाने की परंपरा

हाथ से खाना खाने की हम भारतीयों की सदियो पुरानी परंपरा है। पुराने समय से ही हमारे पूर्वज, ऋषि, महात्मा सब हमें हाथ से खाने की प्रेरणा देते आए हैं। वर्तमान समय में पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करते हुए भारतीय भी हाथ की बजाए चम्मच या काटों के सहारे भोजन ग्रहण करते हैं। हमारी धार्मिक परंपराओं के अनुसार हाथ से खाना खाने के पीछे क्या कारण है और इससे क्या लाभ हो सकते हैं इन्ही कुछ पहलूओं को जानने की हम कोशिश करेगें

पारंपरिक एवं तार्किक कारण

हाथ से खाना खानें में भोजन का स्वाद अलग ही होता है। मगर इसमें सिर्फ स्वाद हि मुख्य कारक नही है बल्कि इसका एक तार्किक कारण ये भी है की जब हम चम्मच से खाना खाते हैं तो हमें खाने के तापमान का अंदाजा नही होता और कई बार हम अपना मुह जला लेते हैं जबकि हाथ से खाना खाने से हमें इस समस्या से नही जूझना पड़ता। इसके अलावा जब हमें हाथ से खाने की आदत होती है तो हम अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करते हैं। जबकि चम्मच की सफाई का हमें ज्ञान नही होता, जिसके कारण कई प्रकार के विषाणु हमारे शरीर में जा सकते हैं।

आयुर्वेदिक महत्व
जब हम हाथ से खाना खाते हैं तब उंगलियों और अंगूठे से जो मुद्रा बनती है उस के कारण शरीर में एक विशेष रुप की उर्जा बनती है, जो हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होती है। इसके साथ साथ आयुर्वेद यह भी बताता है की हमारा शरीर पांच तत्वों के योग से बना है, जिन्हे जीवन उर्जा के नाम से जाना जाता है। और इन्ही पांच तत्वो की उपस्थिति हमारे हाथों की उंगलियों में होती है। जिसमें अंगूठे में अग्नि, तर्जनी में वायु, मध्यमा में आकाश, अनामिका में पृथ्वी और सबसे छोटी उंगली तत्व का प्रतीक मानी गई है।

उर्जा की एकजुटता
जब हम हाथ से भोजन ग्रहण करते हैं तब हमारे हाथों में स्थित इन पाचों तत्वों की उर्जा हमारे भोजन को और उर्जावान बना देती है, जिससे हम स्वस्थ रहते हैं और हमारे शरीर के अंदर प्राणाधार की उर्जा में विकास होता है।

मनोवैज्ञानिक महत्व
जब हम हाथ से खाना खाते हैं तो हमारी तंत्रिकाओ द्वारा हमारे दिमाग में संदेश पहुंच जाता है जिससे हमारा पाचन तंत्र सही वक्त पर सक्रिय हो जाता है और भोजन के प्रकार के अनुसार चयापचय की व्यवस्था करता है जिससे हम भोजन को सही पचाने की उर्जा प्राप्त करते हैं।

मधुमेह को नियन्त्रण करता है
हाथ से भोजन खाने की प्रक्रियां में इंसान ज्यादा गति से खाना नही खा पाता और उसे चबा चबा कर खाना पड़ता है, जिसके फलस्वरुप मधुमेह जैसी समस्या का खतरा कम हो जाता है।

खाने पर ध्यान केन्द्रित
कई बार अनदेखी में हमारे भोजन में कुछ ऐसी वस्तुएं जो हमारे शरीर के लिए उचित नही होती, जैसे कोई कीट पतंगा, पत्थर या कोई धातु। जब हम चम्मच से खाना खाते हैं तो हमे इन वस्तुओं का आभाष नही हो पाता और ये हमारे मुख तक पहुंच जाती है और कई बार तो शरीर के अंदर भी। मगर जब हम हाथ से खाना खाते हैं तो हमें पता लग जाता है की भोजन में क्या अवांछित वस्तु है और हम उसे अपना निवाला नही बनाते।

हाथ से खाने की परंपरा सिर्फ भारत में ही नही है बल्कि अफ्रीका, मध्य पूर्व और एशिया में भी ये परंपरा निभाई जाती है, इसलिए हाथ से खाना आपको देखनें में इतना अच्छा भला ना लगे मगर सेहत के लिए यही अच्छा है