भारतीय विद्वान इस सभ्यता को अनादि परंपरा से उत्पन्न हुआ मानते हैं। परंतु पश्चिमी विद्वानों का मत है कि आर्यों का एक समुदाय भारत वर्ष में कहीं और से लगभग 1500 ईसा पूर्व आया और इनके आने के बाद इस सभ्यता की नींव पड़ी। हालाँकि भारत मे आर्यो के आने का प्रमाण अभी तक न ही किसी पुरातत्त्व खोज में और न ही किसी डी एन ए अनुसंधानों में मिला है।

सूर्य अर्घ्य

भारतीय संस्कृति और हिंदु धर्म में सूर्य को भगवान का दर्जा दिया गया है। ग्रह विज्ञान के हिसाब से भी सूर्य को सभी ग्रहों से श्रेष्ठ माना गया है। सूर्य उर्जा का स्रोत है सारे ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं और इसकी रोशनी प्राप्त करते हैं। हिंदु सनातन धर्म नें भी इसके महत्व को समझा है और इसिलिए सबसे श्रेष्ठ मानते हुए सूर्य देव की पूजा की जाती है और इसको जल चढाया जाता है। सूर्य को जल चढाने के पीछे धार्मिक कारणो के साथ साथ कुछ वैज्ञानिक महत्व भी हैं ।

सूर्य अर्घ्य का धार्मिक दृष्टिकोण

धार्मिक दृष्टिकोण से देखें तो सूर्य देव को आत्मा का कारक माना गया है। इसलिए प्रात:काल सूर्य देव के दर्शन से मन को बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलती है। साथ ही ये शरीर में स्फूर्ति भी लाता है। इसके साथ साथ सूर्य प्रकाश का सबसे बड़ा स्रोत है और प्रकाश को हिंदु धर्म में सकारात्मक भावों का प्रतीक माना गया है। दुख, तकलीफ और परेशानियों को रात या अंधेरे से जोड़ा गया है। जब सूर्य का उदय होता है तो अंधकार गायब होने लगता है, मतलब सूर्य के आने से सभी नकारात्मक उर्जाएं नष्ट हो जाती हैं यही कारण है की सूर्य को सर्वश्रेष्ठ ईश्वर का दर्जा दिया गया है।

इसके अलावा जिन लोगो की कुंडली मे सूर्य कमजोर होता है या जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती है या फिर जो निराशावादी होते है और जिन्हे घर परिवार में मान सम्मान की अभिलाषा होती है उनके लिए सूर्य को जल चढाना बड़ा ही महत्वपूर्ण माना गया है।

सूर्य की किरणो में सात रगों का समावेश होता है जो रंग हम कृत्रिम रोशनी में नही देख पाते या समझ पाते वो सूर्य की रोशनी में सपष्ट दिखाई देते हैं। सूर्य की रोशनी के कारण ही हम रंगों की सही पहचान करने में सक्षम होते हैं।

वैज्ञानिकों का मानना है कि सुबह के समय जब कोई व्यक्ति सूर्य को जल चढ़ाता है तो सूर्य से निकलने वाली किरणें उसको स्वास्थ्य लाभ देती हैं। सुबह के समय सूरज की जो किरणें निकलती हैं वे शरीर में होने वाले रंगों के असंतुलन को सही करती हैं। सूरज की किरणों में सात रंगों का समावेश होता है। यह रंग ‘रंगो के विज्ञान’ पर काम करते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि सुबह के समय सूर्य को जल चढ़ाने समय इन किरणों के प्रभाव से ये रंग संतुलित हो जाते हैं और साथ ही साथ शरीर में प्रतिरोधात्मक शक्ति बढ़ जाती है।

सूर्य को जल चढाते वक्त हम स्नानादि करते हैं, और इस मुद्रा में हमारा पूरा शरीर सूर्य की किरणों के सामने होता है जिससे हमारे शरीर को विटामिन डी मिलता है जो शरीर को उर्जा प्रदान करता है और साथ ही हमारी आंखो की रोशनी भी बढाता है।

सूर्य को जल चढाने के लिए सुबह सुर्योदय से पहले उठ कर स्नानादि करके तांबे के लोटे से सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए और इस विधि के दौरान जल की धारा में से उगते सुरज को देखना चाहिए इससे धातु और सूर्य कि किरणो का असर आपकी दृष्टी के साथ साथ आपके मन पर भी पडेगा और आपको सकारात्मक उर्जा का आभास होता।सूर्य को जल अर्पित करते वक्त इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए की अर्ध्य किया हुआ जल बेकार ना जाए। वो जल किसी वनस्पति में गिरे तो आपको सौभाग्य की प्राप्ति होगी।इसके साथ साथ जल चढाते वक्त सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जाप करते रहना चाहिए।सूर्य को जल चढाने का सही वक्त सुर्योदय होता है।

अन्य मंत्र