भारतीय विद्वान इस सभ्यता को अनादि परंपरा से उत्पन्न हुआ मानते हैं। परंतु पश्चिमी विद्वानों का मत है कि आर्यों का एक समुदाय भारत वर्ष में कहीं और से लगभग 1500 ईसा पूर्व आया और इनके आने के बाद इस सभ्यता की नींव पड़ी। हालाँकि भारत मे आर्यो के आने का प्रमाण अभी तक न ही किसी पुरातत्त्व खोज में और न ही किसी डी एन ए अनुसंधानों में मिला है।
धार्मिक कारण
हिंदु धर्म में गंगा नदि को सब नदियों से पवित्र माना जाता है। और इसको एक पूज्यनीय स्थान भी सनातन धर्म में दिया गया है। इसी कारण से हिंदुओ द्वारा अपने घर में गंगा जल रखा जाता है। इस गंगा जल का इस्तेमाल घर में होने वाले सभी तरह के धार्मिक अनुष्ठानों मे किया जाता है। सावन के महिने में गंगा नदी से कांवड़ द्वारा लाए गए गंगा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है, जो अत्यधिक फलदायक होता है। हिंदु समाज में जन्म संस्कार से लेकर मृत्युं तक गंगा जल का इस्तेमाल किया जाता है। इंसान की सामान्य मृत्यु होने पर उसके मुख में गंगा जल डाला जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह पवित्र जल सभी पापों और बुरे विचारों का नाश कर तन मन को पवित्र करता है।
पौराणिक महत्व
हिंदु धर्म पुराणों नें भी गंगा को पवित्र और दैविय नदी कहा है। सनातन धर्म के लगभग सभी पौराणों में गंगा का जिक्र किया गया है। मान्यताओं के अनुसार गंगा भगवान शिव के शीश पर विराजमान रहती थी। किसी वक्त में भागीरथ नामक राजा नें भगवान शिव की तपस्या करके उन्हे प्रसन्न किया और उनसे गंगा को पृथ्वी पर भेजने का अनुग्रह किया, जिसके बाद गंगा इस धरती पर अपनी पवित्र धारा के साथ उतरी।
वैज्ञानिक शोध
गंगा जल पर किए गए वैज्ञानिक शोधों में पाया गया है कि गंगा जल वैज्ञानिक दृष्ठी से भी सभी नदियों के जल से अधिक महत्वपूर्ण है। गंगा जल को किसी भी पात्र में कितने भी दिन रख लो ये कभी खराब नही होता। मतलब ना तो इसमें काई लगती है और ना ही किसी प्रकार के किटाणु इसमें पैदा होते हैं।
कीटाणुओं को मारने की क्षमता
शौधों से पता चला है की गंगा की बालू में तांबा, क्रोमियम और सूक्ष्म मात्रा में रेडियोधर्मी थोरियम अन्य दूसरी नदियों की तुलना में कई गुना अधिक है। इन तत्वों में कीटाणुओं को मारने की क्षमता होती है. ये तत्व गंगा नदी में पानी द्वारा पत्थरों की रगड़ से उत्पन्न होते हैं। शौंधो से यह भी पता चलता है कि गंगा के पानी में एक कालिफाज नामक लाभकारी कीटाणु पाया जाता है , यह कीटाणु सभी हानिकारक कीटाणुओं को नष्ट करके गंगा के जल को साफ करता है। इसके साथ साथ लखनऊ के नेशनल बॉटेनिकल इंस्टीट्यूट ने अपने रिसर्च से ये निष्कर्ष निकाला की गंगा के पानी में बीमारी पैदा करने वाले ई कोलाई बैक्टीरियां का मारने की क्षमता होती है। गंगा जल में ये चमत्कारी गुण इसकी तलहटी या सतह पर मौजूद रहते हैं। वैज्ञानिकों नें गंगा जल के साथ हानिकारक बीमारियों के कीटाणुओ का प्रयोग करके देखा तो पाया कि गंगा जल के प्रभाव से सभी कीटाणु समाप्त हो गए।
आक्सीजन सोखने की शक्ति
आईआईटी रुड़की में पर्यावरण विज्ञान के रिटायर्ड प्रोफ़ेसर देवेंद्र स्वरुप भार्गव का कहना है गंगा के पानी में वातावरण से आक्सीजन सोखने की अद्भूत क्षमता होती है और इसके साथ साथ दूसरी नदियों की अपेक्षा गंगा नदि में गंदगी को नष्ट करने की क्षमता 15 से 20 प्रतिशत ज्यादा है।
घर में कैसे रखें गंगा जल
गंगा जल को घर में रखने के लिए ध्यान रहे की इसे प्लास्टिक के किसी बर्तन में सहेज कर ना रखे। गंगा जल को रखने के लिए पीतल, कांसे, तांबे या चांदी के बर्तन में रखने से इसकी गुणवत्ता और महता बरकरार रहती है। गंगाजल को हमेशा पूजा स्थान पर रखना ही धार्मिक नीयमों के अनुसार सही प्रक्रिया है।