आरती करते समय भक्त का मन स्वच्छ होना चाहिये अर्थात उसे पूरे समर्पण के साथ आरती करनी चाहिये तभी उसे आरती का पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि भक्त इस समय अपने अंतर्मन से ईश्वर को पुकारते हैं इसलिये इसे पंचारती भी कहा जाता है।
श्री चित्रगुप्त जी की आरती
ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामी जय चित्रगुप्त हरे।
भक्त जनों के इच्छित, फल को पूर्ण करे॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तन सुखदायी।
भक्तन के प्रतिपालक, त्रिभुवन यश छायी॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरति, पीताम्बर राजै।
मातु इरावती, दक्षिणा, वाम अङ्ग साजै॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
सृष्टि संहारण, जन दु:ख हारण, प्रकट हुये स्वामी॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥कलम, दवात, शङ्ख, पत्रिका, कर में अति सोहै।
वैजयन्ती वनमाला, त्रिभुवन मन मोहै॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
सिंहासन का कार्य सम्भाला, ब्रह्मा हर्षाये।
तैंतीस कोटि देवता, चरणन में धाये॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
नृपति सौदास, भीष्म पितामह, याद तुम्हें कीन्हा।
वेगि विलम्ब न लायो, इच्छित फल दीन्हा॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
दारा, सुत, भगिनी, सब अपने स्वास्थ के कर्ता।
जाऊँ कहाँ शरण में किसकी, तुम तज मैं भर्ता॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
बन्धु, पिता तुम स्वामी, शरण गहूँ किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूँ जिसकी॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
जो जन चित्रगुप्त जी की आरती, प्रेम सहित गावैं।
चौरासी से निश्चित छूटैं, इच्छित फल पावैं॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥
न्यायाधीश बैकुण्ठ निवासी, पाप पुण्य लिखते।
हम हैं शरण तिहारी, आस न दूजी करते॥
ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥

अन्य मंत्र
- ॐ जय जगदीश हरे
- श्री गणेशजी की आरती
- आरती गजबदन विनायक
- आरती श्री गणपति जी
- आरती कुंजबिहारी की
- श्री बाँकेबिहारी की आरती
- आरती श्री हनुमानजी
- आरती श्री रामचन्द्रजी
- श्री रामायणजी की आरती
- शिवजी की आरती
- आरती श्री सत्यनारायणजी
- आरती श्री सूर्य जी
- श्री पुरुषोत्तम देव की आरती
- शनिदेव की आरती
- श्री नरसिंह भगवान की आरती
- आरती श्री गोवर्धन महाराज की
- श्री चित्रगुप्त जी की आरती
- आरती श्री अम्बा जी
- आरती श्री लक्ष्मी जी
- आरती श्री सरस्वती जी
- आरती श्री वैष्णो देवी
- आरती श्री गंगा जी
- आरती श्री दुर्गाजी
- आरती अहोई माता की
- एकादशी माता की आरती
- श्री पार्वती माता जी की आरती
- आरती ललिता माता की
- श्री तुलसी जी की आरती
- गायत्री माता आरती
- श्री खाटू श्यामजी की आरती
- रविवार आरती
- मंगलवार आरती
- बुधवार आरती
- गुरुवार आरती
- शुक्रवार आरती
- शनिवार आरती