आरती करते समय भक्त का मन स्वच्छ होना चाहिये अर्थात उसे पूरे समर्पण के साथ आरती करनी चाहिये तभी उसे आरती का पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि भक्त इस समय अपने अंतर्मन से ईश्वर को पुकारते हैं इसलिये इसे पंचारती भी कहा जाता है।
आरती श्री सरस्वती जी
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि, द्युति मंगलकारी।
सोहे शुभ हंस सवारी, अतुल तेजधारी॥
जय सरस्वती माता॥
बाएं कर में वीणा, दाएं कर माला।
शीश मुकुट मणि सोहे, गल मोतियन माला॥
जय सरस्वती माता॥
देवी शरण जो आए, उनका उद्धार किया।
पैठी मंथरा दासी, रावण संहार किया॥
जय सरस्वती माता॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि, ज्ञान प्रकाश भरो।
मोह अज्ञान और तिमिर का, जग से नाश करो॥
जय सरस्वती माता॥
धूप दीप फल मेवा, माँ स्वीकार करो।
ज्ञानचक्षु दे माता, जग निस्तार करो॥
जय सरस्वती माता॥
माँ सरस्वती की आरती, जो कोई जन गावे।
हितकारी सुखकारी ज्ञान भक्ति पावे॥
जय सरस्वती माता॥
जय सरस्वती माता, जय जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥
जय सरस्वती माता॥

अन्य मंत्र
- ॐ जय जगदीश हरे
- श्री गणेशजी की आरती
- आरती गजबदन विनायक
- आरती श्री गणपति जी
- आरती कुंजबिहारी की
- श्री बाँकेबिहारी की आरती
- आरती श्री हनुमानजी
- आरती श्री रामचन्द्रजी
- श्री रामायणजी की आरती
- शिवजी की आरती
- आरती श्री सत्यनारायणजी
- आरती श्री सूर्य जी
- श्री पुरुषोत्तम देव की आरती
- शनिदेव की आरती
- श्री नरसिंह भगवान की आरती
- आरती श्री गोवर्धन महाराज की
- श्री चित्रगुप्त जी की आरती
- आरती श्री अम्बा जी
- आरती श्री लक्ष्मी जी
- आरती श्री सरस्वती जी
- आरती श्री वैष्णो देवी
- आरती श्री गंगा जी
- आरती श्री दुर्गाजी
- आरती अहोई माता की
- एकादशी माता की आरती
- श्री पार्वती माता जी की आरती
- आरती ललिता माता की
- श्री तुलसी जी की आरती
- गायत्री माता आरती
- श्री खाटू श्यामजी की आरती
- रविवार आरती
- मंगलवार आरती
- बुधवार आरती
- गुरुवार आरती
- शुक्रवार आरती
- शनिवार आरती