आरती करते समय भक्त का मन स्वच्छ होना चाहिये अर्थात उसे पूरे समर्पण के साथ आरती करनी चाहिये तभी उसे आरती का पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि भक्त इस समय अपने अंतर्मन से ईश्वर को पुकारते हैं इसलिये इसे पंचारती भी कहा जाता है।

आरती ललिता माता की

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।
राजेश्वरी जय नमो नमः॥

करुणामयी सकल अघ हारिणी।
अमृत वर्षिणी नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥

अशुभ विनाशिनी, सब सुख दायिनी।
खल-दल नाशिनी नमो नमः॥
भण्डासुर वधकारिणी जय माँ।
करुणा कलिते नमो नम:॥
जय शरणं वरणं नमो नमः।
श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी॥

भव भय हारिणी, कष्ट निवारिणी।
शरण गति दो नमो नमः॥
शिव भामिनी साधक मन हारिणी।
आदि शक्ति जय नमो नमः॥
जय शरणं वरणं नमो नमः।
जय त्रिपुर सुन्दरी नमो नमः॥

श्री मातेश्वरी जय त्रिपुरेश्वरी।
राजेश्वरी जय नमो नमः॥

अन्य मंत्र