आरती करते समय भक्त का मन स्वच्छ होना चाहिये अर्थात उसे पूरे समर्पण के साथ आरती करनी चाहिये तभी उसे आरती का पुण्य प्राप्त होता है। माना जाता है कि भक्त इस समय अपने अंतर्मन से ईश्वर को पुकारते हैं इसलिये इसे पंचारती भी कहा जाता है।

श्री खाटू श्यामजी की आरती

ॐ जय श्री श्याम हरे, बाबा जय श्री श्याम हरे।
खाटू धाम विराजत, अनुपम रूप धरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥

रतन जड़ित सिंहासन, सिर पर चंवर ढुरे।
तन केसरिया बागो, कुण्डल श्रवण पड़े॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥

गल पुष्पों की माला, सिर पर मुकुट धरे।
खेवत धूप अग्नि पर, दीपक ज्योति जले॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥

मोदक खीर चूरमा, सुवरण थाल भरे।
सेवक भोग लगावत, सेवा नित्य करे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥झांझ कटोरा और घड़ि़यावल, शंख मृदंग धुरे।
भक्त आरती गावे, जय-जयकार करे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥

जो ध्यावे फल पावे, सब दुःख से उबरे।
सेवक जन निज मुख से, श्री श्याम-श्याम उचरे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥

‘श्री श्याम बिहारीजी’ की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत ‘आलूसिंह’ स्वामी, मनवांछित फल पावे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥

तन मन धन सब कुछ है तेरा, हो बाबा सब कुछ है तेरा।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लोग मेरा॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥

जय श्री श्याम हरे, बाबा जी जय श्री श्याम हरे।
निज भक्तों के तुमने, पूरण काज करे॥
ॐ जय श्री श्याम हरे॥

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